धर्म डेस्क: गणपति को विघ्नहर्ता और ऋद्धि-सिद्धी का स्वामी कहा जाता है। इनका स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से कामनाओं की पूर्ति होती है व विघ्नों का विनाश होता है। वे शीघ्र प्रसन्न होने वाले बुद्धि के अधिष्ठाता और साक्षात् प्रणवरूप है।
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गणेश का मतलब है गणों का स्वामी। किसी पूजा, आराधना, अनुष्ठान व कार्य में गणेश जी के गण कोई विघ्न-बाधा न पहुंचाएं, इसलिए सर्वप्रथम गणेश-पूजा करके उसकी कृपा प्राप्त की जाती है।
गणेश जी को दूर्वा चढाने की मान्यता है माना जाता हौ कि उन्हे दूर्वा चढानें से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है, क्योंकि श्री गणेश को हरियाली बहुत पंसद है। गणेश जी को प्रदान की गई दूर्वा जातक के जीवन में भी हरियाली यानी कि खुशियों को बढ़ाने वाली होती है।
गणेश जी को दूर्वा एक खास तरीके से चढ़ाई जाती है। गणेश जी को हमेशा दूर्वा का जोड़ा बनाकर चढ़ाना चाहिए यानि कि 22 दूर्वा को जोड़े से बनाने पर 11 जोड़ा दूर्वा का तैयार हो जाता है। जिसे भगवान गणेश को अर्पित करने से मनोकामना की पूर्ति में सहायक माना गया है। जानिए श्री गणेश को जोडे में दूर्वा क्यों चढाई जाती है और किस तरह।
जीवन में सुख व समृद्धि की प्राप्ति के लिए श्रीगणेश को दूर्वा ज़रुर अर्पित की जानी चाहिए। दूर्वा एक प्रकार की घास है। जिसे किसी भी बगीचे में आसानी से उगाया जा सकता है। भगवान श्रीगणेश को अर्पित की जाने वाली दूर्वा श्री गणेश को 3 या 5 गांठ वाली दूर्वा अर्पित की जाती है।
किसी मंदिर की जमीन में उगी हुई या बगीचे में उगी हुई दूर्वा लेना चाहिए। ऐसी जगह जहां गंदे पानी बहकर जाता हो और दूर्वा उग आयी हो । वहां से दूर्वा का चुनाव नहीं किया जाना चाहिए। श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाने का मंत्र श्री गणेश को 22 दूर्वा इन विशेष मंत्रों के साथ अर्पित की जानी चाहिए।
इन मंत्रों के साथ गणेश जी को 11 जोड़ा दूर्वा चढ़ाए-
ऊं गणाधिपाय नमः
ऊं उमापुत्राय नमः
ऊं विघ्ननाशनाय नमः
ऊं विनायकाय नमः
ऊं ईशपुत्राय नमः
ऊं सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
ऊंएकदन्ताय नमः
ऊं इभवक्त्राय नमः
ऊं मूषकवाहनाय नमः
ऊं कुमारगुरवे नमः रिद्धि-सिद्धि सहिताय
श्री मन्महागणाधिपतये नमः
यदि आपको लग रहा कि इन मंत्रों को बोलनें में आपको परेशानी होगी तो इस मंत्र को बोल कर गणेश जी को दूर्वा अर्पण करें।
श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि।
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