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..तो इस कारण तीज का नाम हरितालिका तीज पड़ा

यह व्रत महिलाओं के लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं। इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रुप में प्राप्त करने के लिए रखा था। व्रत की कथा कप पार्वती की कठोर तपस्या, धैर्य, संयय, पवित्रता के बारें में बताया गया हैं। जानइए इसका नाम ये क्यों.

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : July 24, 2017 20:22 IST
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धर्म डेस्क: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस व्रत को कुवारी कन्याएं अपने लिए मनचाहें पति पाने और विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य पाने के लिए करती है। यह व्रत बड़ी ही विधि-विधान से किया जाता है।

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यह व्रत महिलाओं के लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं। इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रुप में प्राप्त करने के लिए रखा था। व्रत की कथा कप पार्वती की कठोर तपस्या, धैर्य, संयम, पवित्रता के बारें में बताया गया हैं। लेकिन आप जानते है कि इसे हरितालिता तीज क्यों कहते हैं। अपनी खबर में हम आपको बताते है कि इसका नाम हरितालिका तीज क्यों पडा।

हरितालिका पड़ने के पीछे का कारण

पूर्वकाल में जब दक्ष कन्या सती पिता के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव की उपेक्षा होने पर भी पहुंच गई, तब उन्हें बड़ा अपमान सहना पड़ा। जिसके कारण वह इतनी दुखी हुई कि खुद को योगाग्रि से भस्म कर दिया। जो बाद में आदिशक्ति मैना और हिमालय की तपस्या से खुश होकर उनके घर में उनक् घर में पुत्री के रुप में जन्म लिया। जिनका नाम पार्वती रखा गया।

माना जाता है कि उनके पुर्नजन्म की स्मृति उनके दिमाग में बनी रही।  बाल्यावस्था में ही पार्वती भगवान शंकर की आराधना करने लगी और उन्हें पति रूप में पाने के लिए घोर तप करने लगीं। यह देखकर उनके पिता हिमालय बहुत दु:खी हुए। हिमालय ने पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से करना चाहा, लेकिन पार्वती भगवान शंकर से विवाह करना चाहती थी।

अगली स्लाइड में पूरी कथा

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