सभी ने शिवजी से प्रार्थना की कि वे अनलासुर के आतंक का नाश करें। शिवजी ने सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों की प्रार्थना सुनकर कहा कि अनलासुर का अंत केवल श्रीगणेश ही कर सकते हैं।
जब श्रीगणेश ने अनलासुर को निगला तो उनके पेट में बहुत जलन होने लगी। कई प्रकार के उपाय करने के बाद भी गणेशजी के पेट की जलन शांत नहीं हो रही थी। तब कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठ बनाकर श्रीगणेश को खाने को दी। जब गणेशजी ने दूर्वा ग्रहण की तो उनके पेट की जलन शांत हो गई। तभी से श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई। जिसके कारण आज गणेश जी को दूर्वा चढाने मात्र से ही हर काम पूर्ण हो जाते है।
इसी लिए जब भी भगवान गणेश को दूर्वा चढाए तो जोडे में चढाए यानि की 11 का हो या फिर 21 का जोड़ा है। इससे आपके ऊपर भगवान की कृपा बनी रहेगी। साथ ही आपको हर काम में सफलता मिलेगी।