पिंड दान और श्राद्ध
आपने देखा होगा कि किसी मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने के बाद उस घर के पुरुष अपना सिर मुंडवा लेते है। और उस व्यक्ति के परिवार में कोई भी अच्छा व्यंजन नही बनता जैसे कि गैस में कढ़ाई को न चढाना, तेल संबंधी कोई चीज नहीं बनाना आदि। इस बारें में पुराण कहता है कि यह मृत व्यक्ति के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का साधन तो है ही, इससे यह भी अर्थ लगाया जाता है कि अब उनके ऊपर जिम्मेदारी आ गई है।
इसके बाद 13 दिनों तक व्यक्ति का पिंडदान किया जाता है। इससे मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति प्राप्त होती है तथा उसका मृत शरीर और स्वयं के परिवार से मोह भंग हो जाता है।