नई दिल्ली: भारत एक ऐसा देश है जहां पर विभिन्न धर्म है। इन धर्मों में कई तरह के रीति-रिवाज और परंपराए है। खासतौर में हिंदू धर्म में। हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है जिसमें आज हर शुभ काम हो या फिर कोई खास मौका या फिर खाने का ढंग की क्यों न हो सभी में रिवाज होता है। लेकिन आप जानते है कि इन सभी कामों से हमारे शरीर को कितना फायदा मिलता है। साथ ही इससे हमारे दिमाग में भी अधिक प्रभाव पड़ता है।
ये भी पढ़े-
- हिंदू धर्म में जनेऊ पहनना क्यों है जरुरी?, जानिए
- चाणक्य नीति: इन 4 परिस्थितियों से खुद को रखें दूर
- श्रीमद्भगवत पुराण: इन भविष्यवाणियों के अनुसार ऐसे होगा कलियुग का अंत
- जानिए, आखिर दाएं हाथ से खाने के पीछे क्या है कारण
- जानिेए हिंदू धर्म में क्यों मुंडन है ज़रुरी
हिंदू धर्म में एक चीज सबसे अलग है वो है किसी महिला का सोलह श्रृंगार। जो पूरी दुनिया में भी फेमस है। इस सोलह श्रृंगार में माथे की बिंदी से लेकर पांव में पहनी जाने वाली बिछिया तक होता है। हर एक चीज का अपना एक महत्व है। परंपराओं की दृष्टि से तो इनके महत्व रोचक हैं। जानिए नाक में पहने जाने वाली नथनी के पीछे क्या है कारण साथ ही वैज्ञानिक तर्क क्या है।
आज के दौर की बात करें तो बात करें तो नथनी जिसे नोज रिंग कहा जाता है। वह आज फैशन की दौर में सबसे आगे है। नाक में नथनी हर धर्म की महिलाएं पहनती है। हिंदू धर्म की महिलाओं के लिए ये अधिक महत्व रखती है। इसे विवाहित महिलाओं की सौभाग्य की निशानी भी माना जाता है। ये नथनी आज के दौर से नहीं राजा-महाराजाओं के दौर से भी पहनी जाती है। जो कि आज के समय में भी चली आ रही हैं।
महिलाओं के नथ पहनने के पीछे कई मान्याताएं भी है जैसे कि इसे नाक में पहने का प्रचलन 16वीं शताब्दी के समय मुगलकाल के दौरान भारत आ गया था। माना जाता है कि मुगल घराने की महिलाएं नाक में नथनी पहनना उनके श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण आभूषण माना जाता था।
अगली स्लाइड में पढ़े वैज्ञानिक कारण के बारें में