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मिस्त्र के देवी देवताओं के बारे में जानिए कुछ रोचक बातें

ईसाई धर्म और बाद में इस्लाम के राजधर्म बनने के बाद ईसाइयों ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद ये लुप्त हो गया। मिस्त्रवासियों ने अपने देवताओं की कल्पना मनुष्य के साथ पशु-पक्षियों के रूप में की है।

India TV Lifestyle Desk
Updated : February 01, 2016 19:49 IST
egyptian gods
egyptian gods

धर्म डेस्क: प्राचीन मिस्र का धर्म मिस्र देश का सबसे मुख्य और राजधर्म था। ये एक मूर्तिपूजक और बहुदेवतावादी धर्म था। एक छोटी अवधि के लिये इसमें एकेश्वरवाद की अवधारणा भी रही थी। ईसाई धर्म और बाद में इस्लाम के राजधर्म बनने के बाद ईसाइयों ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद ये लुप्त हो गया। मिस्त्रवासियों ने अपने देवताओं की कल्पना मनुष्य के साथ पशु-पक्षियों के रूप में की है। जानिए कुछ ऐसे ही मिस्त्र के देवता के बारें में अनजाने तथ्य।

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प्राचीन मिस्त्र वासियों का धार्मिक जीवन काफी समृद्ध था। उनका देव बहुत ही बड़ा था। मिस्त्र देश के लोग प्राकृतिक शक्तियों को मुख्य रूप से मानते थे। इन प्राकृतिक शक्तियों में थे सूर्य, चंद्र, नील नदी, पृथ्वी, पर्वत, आकाश और वायु थे। इन देवों में सबसे पहले सूर्य और नील नदी का स्थान सर्वोपरि था।

 मिस्त्र में सूर्य की उपासना की जाती थी, लेकिन इनको की नामों से जाना जाता था। जैसे कि 'रे', 'ऐमन' और 'होरस' आदि। बाद में सूर्य पूजा 'एमर रे' के नाम से ही हर जगह एकरुप में फेमस हो गई। इसके साथ ही पृथ्वी, प्रकृति और नील नदी तीनों को मिलाकर एक शक्ति बनी जिसका नाम ओसिर(ओसाइरिस) नामक देवता पड़ा। जोकि एक प्रमुख स्थान भी था। यह एक हिंदू धर्म के वह इंद्र देवता के समान ही जल का देवता थे।

ओसिर देवता को रे देवता के पुत्र माना जाता था। जिसके कारण इनकी पूजा की जाती थी। क्योंकि यह वह देवता है जो जीवन-मृत्यु का मुल्यांकन करते थे। साथ ही इनकी पत्नी का नाम आइसिस था। जो कि देवियों में सबसे प्रमुख देवी था। और यह 'रे' देवता की सगी बहन थी। उसका पुत्र 'होरस' भी देवता के रूप में पूजा जाता था।

मिस्त्र के प्राचीन धर्म में राक्षस और दैत्य की कल्पना भी थी। 'सेत' नामक दैत्य 'ओसीरिस' का शत्रु था। 'रे' को जीवन का देवता माना जाता है। और मिस्त्र के राजा फराओ (राजाओं की उपाधि) उसके प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते थे। कहा जाता है कि 'रे' जिसे 'रा' भी कहा जाता था उसकी कल्पना सत्य, न्याय और नैतिक सर्वोच्चता के प्रतीक के रूप में की गई।

 

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