हेल्थ डेस्क: आज के समय में खराब दिनचर्या और अनियमित खानपान के कारण कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसी कारण आज हर पांचवा व्यक्ति कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है। यह धीरे-धीरे सभी को अपने प्रकोप में लेता जा रहा है। हाल में ही एक शोध हुआ जिसमें ये बात सामने आई कि शरीर में अधिक मात्रा में वसा का होना भी कैंसर होने का एक कारण हो सकता है।
वसा ऊतक और वसा कैंसर को विभिन्न तरीके से प्रभावित कर सकते हैं। यह इस पर भी निर्भर करता है कि किस प्रकार का वसा शरीर के किस अंग में है। यह जानकारी एक अनुसंधानकर्ता से मिली है। अमेरिका की साल्ट लेक सिटी में यूटा विश्वविद्यालय के कॉर्नेलिया उलरिच ने कहा, "मोटापा दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा है, जो कि कैंसर के एक सबसे बड़े जोखिम के रूप में मान्यता प्राप्त करता जा रहा है, 16 तरह के कैंसर मोटापे से जुड़े हैं।"
उलरिच ने कहा, "हमें तत्काल उन तंत्रों की पहचान करने की जरूरत है जो मोटापे को कैंसर से जोड़ते हैं।"
वसा तीन प्रकार के पाए जाते हैं: सफेद, भूरे और गहरे पीले रंग का - और तीनों अलग तरीके से काम करते हैं और विभिन्न मात्रा में मौजूद होते हैं। अब यह इस बात पर निर्भर करता है कि वसा किस भाग में स्थित है।
पिछले शोध में कई तरीके सामने आए हैं जिससे यह पता चलता है कि मोटापा कैंसर का कारक हैं।
उदाहरण के लिए मोटापा जलन के जोखिम को बढ़ाता है और जलन कैंसर से जुड़ा रहा है।
उन्होंने कहा कि मोटापा कैंसर सेल के चयापचय और प्रतिरक्षा को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है, यह सब ट्यूमर के बढ़ने और फैलने में सहयोग प्रदान करते हैं।
उलरिच ने कहा कि वसा और कैंसर के पनपने के बीच जो रिश्ता है वह 'क्रासटॉक' पर निर्भर करता है। क्रासटॉक को बाधित करने के तरीकों की पहचान की जा रही है ताकि अनुंसधानकर्ता कैंसर से बचाव के लिए नई रणनीति की पहचान कर सकें।
यह शोध कैंसर रोकथाम अनुसंधान जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
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