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महावीर जयंती 2017: जानिए महावीर स्वामी के दिव्य सिद्धांतों के बारें में

महावीर जयन्ती का पर्व महावीर स्वामी के जन्म दिन चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। यह जैनों का सबसे प्रमुख पर्व है। भगवान महावीर स्वामी, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे जिनका जीवन ही उनका संदेश है। उनके सत्य, अहिंसा, के उपदेश एक खुली किताब की भांति

India TV Lifestyle Desk
Updated : April 08, 2017 14:15 IST
lord mahavira- India TV Hindi
lord mahavira

धर्म डेस्क: महावीर जयन्ती का पर्व महावीर स्वामी के जन्म दिन चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। यह जैनों का सबसे प्रमुख पर्व है। भगवान महावीर स्वामी, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे जिनका जीवन ही उनका संदेश है। उनके सत्य, अहिंसा, के उपदेश एक खुली किताब की भांति है। इस बार महावीर जयंती 9 अप्रैल, रविवार को पड़ रही है।

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महावीर का जन्म एक राजपरिवार में हुआ था। उनके परिवार में ऐश्वर्य,  धन-संपदा की कोई कमी नहीं थी, किंतु युवावस्था में कदम रखते ही उन्होंने संसार की माया-मोह, सुख-ऐश्वर्य और राज्य को छोड़कर, सारी सुविधाओं का त्याग कर वे नंगे पैर पैदल यात्रा करते रहे।

एक राजा जिसने अपने राज्य का त्याग कर दिया। राजसी व्यक्तित्व होते हुए भी सांसारिक सुख का त्याग कर देना और लोगों को सत्य, अहिंसा और प्रेम का मार्ग दिखाना। आखिर यह ढाई हजार वर्ष पूर्व किसने प्रेरित किया था। इन्हें भगवान महावीर का नाम दिया।

कहा जाता है कि क्षमा वीरस्य भूषणम्। भगवान महावीर में क्षमा करने का एक अद्भुत गुण था। वे सच्चे महावीर थे।

भगवान श्री महावीर तो केवल 30 वर्ष की युवा अवस्था में ही राजपरिवार को छोड़कर ज्ञान प्राप्ति के लिए निकल गए। केवल ज्ञान की खोज में निकलने के बाद उन्हें सत्य, अहिंसा, श्रद्धा, विश्वास प्राप्त हुआ।

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