आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार सुबह 11 बजकर 6 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 32 मिनट तक पताल लोक की भद्रा रहेगी | आप जानते ही होंगे कि- जिस दिन चन्द्रमा कुंभ, मीन, कर्क या सिंह राशि में होता है, उस दिन पृथ्वी लोक की भद्रा होती है और जिस दिन चन्द्रमा मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक राशि में होता है तो स्वर्ग लोक की भद्रा और जिस दिन चंद्रमा कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में होता है, तब पाताल लोक की भद्रा होती है | आज चन्द्रमा तुला राशि में है | लिहाजा आज पताल लोक की भद्रा है |
स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा का वैसे तो कोई असर पृथ्वी पर नहीं पड़ता और इन दोनों भद्राओं में शुभ काम किए जा सकते हैं, लेकिन स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा के दौरान इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि भद्रा के मुख काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
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भृगुसंहिता में भद्रा को वार के अनुसार बांटा गया है। भृगुसंहिता के अनुसार सोमवार और शुक्रवार की भद्रा कल्याणकारी, गुरुवार की पुण्यकारी, शनिवार की बृश्चिकी और मंगलवार, बुधवार तथा रविवार की भद्रा भद्रिका होती है। लिहाजा मंगलवार, बुधवार, शनिवार, रविवार की भद्रा अशुभ होती हैं, जबकि भद्रा अगर सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन पड़े, तो उसका कोई दोष नहीं लगता |
भद्रा के दौरान भले ही कुछ कार्य करना वर्जित है, लेकिन कुछ ऐसे भी कार्य हैं, जिन्हें भद्रा के दौरान करना शुभ माना जाता है। बृहस्पति ने लिखा कि भद्रा के दौरान शत्रु का खेत उजाड़ना, क्रुर कर्म करना, यानी शत्रु की सर्जिकल स्ट्राइक के लिये भद्रा का समय बेहद फेवरेबल होता है।