शुद्धि श्राद्ध: पाप नाश करके अपनी शुद्धि कराने के लिए जो श्राद्ध किया जाता है, वह शुद्धि श्राद्ध कहलाता है। इसे करने से ऑफिस में बैक बाइटिंग से बचाव होता है।
कर्मांग श्राद्ध: आने वाली संतति के लिए गर्भाधान, सोमयाग, सीमान्तोन्नयन आदि जो संस्कार किये जाते हैं, उन्हें कर्मांग श्राद्ध कहते हैं। इसे करने से बुढ़ापे में सन्तान आपका सहारा बनाती है, आपका ख्याल रखती है।
दैविक श्राद्ध: देवताओं को प्रसन्न करने के उद्देश्य से दैविक श्राद्ध किया जाता है। इसे करने से आपको अन्न-धन्न की कभी कमी नहीं होती।
यात्रार्थ श्राद्ध: यात्रा के उद्देश्य से किया जाने वाला श्राद्ध यात्रार्थ श्राद्ध कहलाता है। तीर्थ में जाने के उद्देश्य से या देशान्तर जाने के उद्देश्य से जिस श्राद्ध को सम्पन्न कराना चाहिए, वह यात्रार्थ श्राद्ध है। इसे करने से आपकी हर बिजनेस यात्रा सफल होती है।
पुष्टि श्राद्ध: देशान्तर में जाने वाले की पुष्टि के लिए जो शुभकामना की जाती है, उसके लिए जो दान पुण्य आदि किया जाता है उसे पुष्टि श्राद्ध कहते हैं। अपने मित्र, भाई, बहन, पति, पत्नी आदि की भलाई के लिए जो कर्म किये जाते हैं उन सबको पुष्टि श्राद्ध कहते हैं। इसे करने से विदेश जाने का अवसर मिलता है और जो पहले से विदेश में हैं, उन्हें लगातार अपने कामों में सफलता मिलती है।