धर्म डेस्क: मथुरा जहां हर कोनों में सिर्फ श्री कृष्ण का ही नाम है। कान्हा की नगरी मथुरा में यमुना नदीं का खास महत्व है। यह वहीं नदीं है जहां पर भगवान वासुदेव अपने सिर पर सूप में श्री कृष्ण को लेकर गोकुल पहुंचे थे।
भगवत पुराण के अनुसार श्री कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध करने के बाद विश्राम किया था। जिसके कारण इस घट का नाम विश्राम घाट पड़ा।
शास्त्रों में कहा गया है कि अगर श्री कृष्ण के मंदिरों के दर्शन के साथ यहां पर स्नान न किया तो आपको पूरा फल नहीं मिलेगा। विश्राम घाट के साथ गोकुल तक कई घाट बने है। जिनकी अपनी-अपनी महिमा है। जानिए इस घाट के बारें में और जानकारी।
ये भी पढ़ें:
- Janmashtmi 2017: करें इनमें से कोई 1 उपाय, होगी धन-धान्य की प्राप्ति
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज: ऐसे करें मंत्रोच्चारण के साथ लड्डू गोपाल की पूजा
- द्वारकाधीश मंदिर: जानिए श्री कृष्ण की जन्मभूमि के बारें में रोचक बातें
द्वारिकाधीश मन्दिर से 30 मीटर की दूरी पर, नया बाज़ार में स्थित है। यह मथुरा के 25 घाटों में से एक प्रमुख घाट है। विश्राम घाट के उत्तर में 12 और दक्षिण में 12 घाट है। यहां अनेक सन्तों ने तपस्या की एवं अपना विश्राम स्थल बनाया। विश्राम घाट पर यमुना महारानी का अति सुंदर मंदिर स्थित है। यमुना महारानी जी की आरती विश्राम घाट से ही की जाती है। विश्राम घाट पर संध्या का समय और भी आध्यात्मिक होता है।