पानी के लिए खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के अन्दर कुछ गुम्बदनुमा चीज दिखाई पड़ा। जिसके कारण अंग्रेजों ने इस जगह की पूरी खुदाई की। जब ये शिवलिंग उन्हे नंजर आया । साथ ही इस मंदिक के अंदर शिवलिंग के ठीक ऊपर मां गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा मिली। प्रतिमा के नाभी से आपरूपी जल निकलता रहता है जो उनके दोनों हाथों की हथेली से गुजरते हुए शिव लिंग पर गिरता है।
मंदिर की खासियत यह है कि यहां जलाभिषेक साल के बारह महिने और 24 घंटे होता है। जिसके कारण भक्तगण सच्चे दिल से इस मंदिर में जाकर भगवान की पूजा-अर्चना करते है। जिससे भगवान शिव उनकी हर मनोकामना को पूरा करते है।
साथ ही यह प्रसाद के रुप में भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और इसे अपने घर ले जाकर रख लेते हैं। माना जाता है कि इस जल में इतनी शक्तियां समाहित हैं कि इसे ग्रहण करने के साथ ही मन शांत हो जाता है। साथ ही सभी परेशानी दूर हो जाती है।