पापी करता है अपना गुनाह कबूल
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि बड़े से बड़ा अपराधी भी इस कुएं में मात्र स्नान कर अपने गुनाह को कुबूल कर लेता है। यही वजह है कि कनिपक्कम सिद्धि विनायक मंदिर की लोकप्रियता दूरदराज तक फैली हुई है। स्थानीय न्यायालयों में भी मूर्ति की शपथ दिलाकर गवाही लेने का विशेष प्रावधान है।
नदी से भी जुड़ी है एक अनोखी कहानी
कनिपक्कम विनायक मंदिर जिस नदी में है उससे जुड़ी भी एक अनोखी कहानी है। कहते हैं संखा और लिखिता नाम के दो भाई थे। वो दोनों कनिपक्कम की यात्रा के लिए गए थे। लंबी यात्रा की वजह से दोनों थक गए थे। चलते-चलते लिखिता को जोर की भूख लगी। रास्ते में उसे आम का एक पेड़ दिखा तो वो आम तोडऩे लगा। उसके भाई संखा ने उसे ऐसा करने से बहुत रोका लेकिन वो नहीं माना।
इसके बाद उसके भाई संखा ने उसकी शिकायत वहां की पंचायत में कर दी, जहां बतौर सजा उसके दोनों हाथ काट लिए गए। कहते हैं लिखिता ने बाद में कनिपक्कम के पास स्थित इसी नदी में अपने हाथ डाले थे, जिसके बाद उसके हाथ फिर से जुड़ गए। तभी से इस नदी का नाम बहुदा रख दिया गया, जिसका मतलब होता है आम आदमी का हाथ। ये इस नदी का महत्व ही है कि कनिपक्कम मंदिर को बाहुदा नदी से नाम से भी जाना जाता है।