इसी वरदान के फलस्वरूप भगवान ब्रह्मा के अंश से चंद्रमा, विष्णु का अंश से दत्तात्रेय और शिव के अंश से दुर्वासा उत्पन्न् हुए। ऋषि दुर्वासा भगवान शिव के रुद्र रूप से उत्पन्न हुए थे, इसलिए वे अधिक क्रोधी स्वभाव के थे। भगवान शिव के अवतार ऋषि दुर्वासा का वर्णन कई पुराणों और ग्रंथों में पाया जाता है।
ऋषि दुर्वासा एक ऐसे महान ऋषि है जिसनेम त्री राम की भी भी परीक्षा ली थी। इसके अनुसार भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम की वचनबद्धता की परीक्षा ली थी। एक बार काल ने ऋषि का रूप धारण करके श्रीराम के साथ शर्त लगाई थी कि ‘मेरे साथ बात करते समय कोई भी श्रीराम के पास न आए, जो भी इस बात का पालन नहीं करेगा श्रीराम तुरंत ही उसका त्याग कर देंगे।
’ श्रीराम की परीक्षा लेने के लिए ऋषि दुर्वासा ने हठपूर्वक लक्ष्मण को श्रीराम के पास भेजा। ऐसा होने पर श्रीराम ने तुरंत ही लक्ष्मण का त्याग कर दिया था।