इस मेले में देश के कई हिस्से से लोग यहां पर आते है। जिनमें सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र से लोग होते है। कई अंग्रेजों ने पुस्तकों एवं उपन्यासों तथा स्मरणों में इस मेले का जिक्र किया है। इन विदेशी लेखकों के किस्सों के चलते ही हर साल कोई ना कोई विदेशी बैतूल जिले में स्थित मलाजपुर के गुरू साहेब के मेले में आता है। कई बार इस मेले को अंधविश्वास का नाम देकर बंद करना का प्रयास किया गया, लेकिन बंद नही करा सके।
गिड़गिराते है भूत
माना जाता है कि मेले में आने वाले भूत-प्रेत के साये से प्रभावित लोग समाधि स्थल की उल्टी परिक्रमा लगाते हैं। इसके बाद मिन्नत मांगते है कि उन्हे छोड़ दे। ऐसी मान्यता है कि जिस भी प्रेत बाधा से पीड़ित व्यक्ति को छोडऩे के बाद उसके शरीर में समाहित प्रेत बाबा की समाधि के एक दो चक्कर लगाने के बाद अपने आप उसके शरीर से निकल कर पास के बरगद के पेड़ पर उल्टा लटक जाता है। बाद में उसकी आत्मा को शांति मिल जाती है।
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