नई दिल्ली: भारत एक विविधता का देश है। यह देश ऐसा है जहां पर हर साल सैकड़ो मेला लगते है। जिन पर हजारों लोग आते है, लेकिन क्या आपने किसी एक मेला के बारे में सुना है। जहां पर भूत आते हो। चौक गए न। आप इस बात को अंधविश्वास मानते हो, लेकिन यह सच है। यह मेला हर साल मकर संक्राति की पहली पूर्णिमा से शुरू होता है। और पूरा एक महीना चलता है। इस मेले का अनोखा नाम भी है। भूतों का मेला। यह मेला औरों मेला से बिल्कुल अलग है।
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इस बारे में कई साइकोलॉजिस्ट भूत-प्रेत के अस्तित्व को सिरे से खारिज करते हैं। वह मानते है कि भूत-प्रेत कुछ नही होता। इस मेले में आने वाले लोग किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त होते है। य़ा फिर किसी मानसिक या शारीरिक परेशानी से ग्रस्त होते है। किसी भी रोग को सही होने के लिए विश्वास होता है। जब लोग यहां आते है तो इसी विश्वास से आते है कि वह सही हो जाएगे। इसी विश्वास के कारण वह सही भी हो जाते है।
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में हर साल श्राद्ध पक्ष की अमावस्या की रात नर्मदा किनारे भूतों का मेला लगता है। इस मेले को जो लोग देखने जाते है। उनके डर की वजह से रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मलाजपुर के बाबा के समाधि स्थल के आसपास के पेड़ों की झुकी डालियां उलटे लटके भूत-प्रेत की याद ताजा करवा देती हैं।
इस जगह की ऐसी मान्यता है कि साल 1770 में गुरु साहब बाबा नाम के एक संत ने यहां जीवित समाधि ली थी। माना जाता है कि संत चमत्कारी थे और भूत-प्रेत को वश में कर लेते थे। इसीलिेए बाबा गुरु साहब की याद में हर साल यहां पर मेला लगता है। यह मेला एक महीने के लिए लगता है।
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