आचार्य इंदु प्रकाश के मुताबिक, 14 मार्च सुबह 11 बजकर 54 मिनट पर सूर्यदेव मीन राशि में प्रवेश करेंगे और 13 अप्रैल की शाम 8 बजकर 23 मिनट तक सूर्यदेव यहीं पर रहेंगे। यानि इस दिन सूर्य की मीन संक्रांति है। भारतीय ज्योतिष में सूर्यदेव को आत्मा का कारक और सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। यह भचक्र की पांचवीं राशि सिंह के स्वामी है। इनकी दिशा पूर्व है और जाति क्षत्रिय है।
सूर्य की संक्रांति का पुण्यकाल सूर्योदय से संक्रांति काल तक रहेगा। सूर्य की किसी भी संक्रांति में पुण्यकाल के दौरान पवित्र नदियों में स्नान-दान का महत्व होता है और सूर्य की मीन संक्रांति के दौरान गोदावरी नदी में स्नान-दान का विशेष महत्व है।
14 मार्च से एक महीने के लिये खरमास की शुरुआत हो रही है। आप जानते होंगे कि साल में दो बार खरमास लगता है। एक बार सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के दौरान और दूसरी बार मीन राशि में प्रवेश के दौरान। शास्त्रों में खरमास को शुभ कार्यों के लिये अच्छा नहीं माना जाता है। इस दौरान विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन संस्कार आदि शुभ कार्य करने की मनाही होती है। अतः अगले एक महीने के लिये आपको इन सब चीज़ों का ख्याल रखना चाहिए।
14 मार्च को सूर्य कर रहा है मीन राशि में प्रवेश, जानें आपकी राशि पर क्या पड़ेगा असर
खरमास के दिनों में क्या करें और क्या न करें
- खरमास में शाकाहारी भोजन ग्रहण करना चाहिए। इसके अलावा मांसाहारी चीजों का भी सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही प्याज, लहसुन, गाजर, मूली, दाल, तेल और दूषित अन्न को छोड़ देना चाहिए।
- शास्त्रों के अनुसार सफेद धान, चावल, गेहूं, तिल, जौ, बथुआ, कंकडी, मंचावल, मूंग, शहतूत, सामक, मटर, पीपल, सौंठ, आंवला, सेंधा नमक, सुपारी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- खरमास में देवी-देवता, ब्राह्मण, गाय, साधु-संयासी, बड़े-बुजुर्ग की सेवा और आदर करना चाहिए।
- खरमास में ताबें के बर्तन में रखा हुआ दूध और चमड़े में रखा हुआ पानी का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही अपने हाथ से बना खाने का सेवन करना चाहिए। इससे आपके स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा।
- खरमाह के पूरे 30 दिनों में आपको साधारण जीवन जीना चाहिए। इसके लिए जमीन पर सोना, पत्तल पर खाना और धर्मभ्रष्ट संस्कारहीन लोगों से संपर्क नहीं रखना चाहिए।
- कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, नए कारोबार का प्रारंभ आदि कार्य नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि इससे शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है।