अनोखे तरीके से हुई है खजराना गणेश की स्थापना
इस मंदिर की स्थापना की कहानी भी अपने आप पर अनोखी है। इस मंदिर में स्थापित गणेश जी की प्रतिमा के बारे में कहा जाता हैं कि एक स्थानीय पंडित मंगल भट्ट को सपने में दिखी थी। इसी सपने के आधार पर रानी अहिल्या बाई होल्कर ने खुदाई कर जमीन के नीचे से मूर्ति निकलवाई और स्थापित करवाया। जिस स्थान से प्रतिमा निकली थी, उस स्थान पर आज एक जलकुंड है, जो मंदिर के ठीक सामने है।
इस मंदिर के साथ ही आसपास 33 मंदिर और
इसके साथ-साथ यहां भगवान शिव और मां दुर्गा के मंदिर सहित छोटे-बड़े कुल 33 मंदिर हैं, जो अनेक देवी-देवताओ को समर्पित है। मंदिर परिसर में पीपल का एक प्राचीन पेड़ है, जिसके बारे में माना जाता है कि आप यहां पर जो भी मन्नत मांगोगे। वह पूरी होगी।
भारत के सबसे धनी मंदिरों की शुमार में
यह मंदिर देश के धनी मंदिरों में से एक माना जाता है। यहां पर जो चढ़ावा चढता है वह दूसरों मंदिरों से कई गुना अधिक होता हैं। इस मंदर की इतनी प्रसिद्धि होने के कारण आप यहां पर ऑनलाइन दर्शन और दान भी कर सकते हैं। जिसके कारण इस मंदिर की संपत्ति बेहिसाब है।
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