एक कहानी के अनुसार ब्रह्मा जी जो कि सृष्टि के रचयिता हैं उन्होंने जब पुष्कर बनाया तो हिंदू संस्कृति के अनुसार उन्हें भी इस शुभ कार्य के लिए हवन करना था। तब ब्रह्मा जी ने अपने मानस पुत्र नारद मुनि से कहा कि आप जाइए और देव लोक से सावित्री मां को लेकर आइए। लेकिन सावित्री मां को आने मे समय लग रहा था। तब यहां हवन का मुहूर्त निकला जा रहा था इसलिए ब्रह्मा जी ने गांधर्व विवाह करते हुए वेद माता गायत्री के साथ यहां हवन की प्रक्रिया आरंभ की।
इसी बीच मां सावित्री भी पहुंच गईं उन्होने अपने पति के साथ किसी और स्त्री को हवन मे बैठे देख क्रोधित हो ब्रह्मा जी को श्राप दिया, कि आपने जो धर्म का उल्लंघन किया है इसलिए मैं आपको श्राप देती हूँ कि इस धरती लोक पर यहां के अलावा कहीं भी आपका मंदिर नही होगा। इसीलिए पुष्कर के अलावा ब्रम्हा जी का कहीं भी मंदिर नहीं है।