कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिये करवा चौथ का व्रत किया जाता है। सुहागन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रहने के बाद शाम को चांद देखकर व्रत का पारण करती है। आज के दिन चन्द्रोदय शाम 7 बजकर 57 मिनट पर होगा। करवाचौथ के इस व्रत को 'करक चतुर्थी' या 'दशरथ चतुर्थी' के नाम से भी जाना जाता है।
करवा चौथ के दिन विधि-विधान के साथ मां पार्वती और गणपति की पूजा की जाती है। इसके साथ ही कुछ नियम होते है जिन्हें करवा चौथ के दिन मानना शुभ माना जाता है। जानिए इन नियमों के बारे में।
- चंद्रमा देखने से पहले महिलाओं को मां गौरी की पूजा जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही हलवे का भोग लगाना चाहिए।
- करवा चौथ में सोलह श्रृंगार करने का विधान है। इस दिन अपने श्रृंगार की चीजें किसी को भी न दें।
- करवा चौथ के दिन किसी महिला को सोते हुए व्यक्ति को नहीं उठाना चाहिएष शास्त्रों के अनुसार यह अशुभ माना जाता है।
- करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं को किसी भी नुकीली चीज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- आज के दिन सुई-धागा संबंधी काम न करे।
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- चंद्रमा के माता का कारक होने की वजह से करवाचौथ के दिन किसी भी महिला को अपनी सास, मां या फिर दूसरी महिला का अपमान नहीं करना चाहिए। इस बात को ज्योतिष नजरिए से भी अशुभ माना जाता है।
- करवा चौथ वाले दिन महिलाएं सफेद रंग की चीजें जैसे दही, चावल, दूध या फिर सफेद रंग का कपड़ा किसी को न दें। क्योंकि सफेद रंग चंद्रमा का कारक माना जाता है। इस दिन इन चीजों का दान करने से आपको आपकी पूजा का फल नहीं मिलेगा।
- इस दिन महिलाएं काले, नीले और भूरे रंग के कपड़े पहन कर पूजा न करें। इससे उसको पूजा का फल नहीं मिलता है। इसलिए इस दिन लाल, पीले, हरे यानी सुहाग के रंग के कपड़े पहने।
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