Karwa Chauth or Karva Chauth 2018 Date time: कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस बार करवा चौथ आज यानि 27 अक्टूबर, शनिवार को पड़ रहा है। करवा चौथ (Karva Chauth) के बारे में पूर्ण निवरण वामन पुराण में दिया गया है। दशहरा के साथ ही त्यौहारों का सीजन शुरु हो गया है। नवरात्र, दशहरा के बाद अब करवा चौथ, धनतेरस, दीवाली जैसे बड़े त्यौहार पड़ रहे है। जिसे लेकर हर कोई उत्साहित है।
विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पति की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की कामना करने के साथ-साथ कुंवारी कन्याएं भी इस दिन मनचाहा वर पाने के लिए चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर व्रत को पूरा करती हैं। इस व्रत में रात में शिव, पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा के तस्वीरों और सुहाग की वस्तुओं की पूजा का विधान है। इस दिन निर्जला व्रत रखकर चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य अर्पण कर भोजन ग्रहण करना चाहिए। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारें में।
करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त (Karva Chauth Date and Time)
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 27 अक्टूबर की शाम 06 बजकर 37 मिनट।
चतुर्थी तिथि समाप्त: 28 अक्टूबर की शाम 04 बजकर 54 मिनट।
पूजा का शुभ मुहूर्त: 27 अक्टूबर की शाम 05 बजकर 48 मिनट से शाम 07 बजकर 04 मिनट तक।
कुल अवधि: 1 घंटे 16 मिनट।
करवा चौथ में सरगी
करवा चौथ के दिन सरगी का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और लड़कियां सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद सरगी खाती हैं। सरगी सास तैयार करती हैं। इस सरगी में सूखे मेवे, नारियल, फल और मिठाई खाई जाती है। अगर सास नहीं है तो घर का कोई बड़ा भी अपनी बहू के लिए सरगी बना सकता है। जो लड़कियां शादी से पहले करवा चौथ का व्रत रख रही हैं उसके ससुराल वाले एक शाम पहले उसे सरगी दे आते हैं। सरगी सुबह सूरज उगने से पहले खाई जाती है ताकि दिन भर ऊर्जा बनी रहे।
करवा चौथ पूजा विधि
करवाचौथ पर महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं बिना चंद्रमा के पूजा संपन्न कर अपने पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। कहा जाता है कि चांद देखे बिना व्रत अधूरा रहता है। जबतक चांद की पूजा के कोई महिला न कुछ भी खा सकती हैं और न पानी पी सकती हैं।
चंद्रमा की पूजा के दौरान महिलाओं को एक घेरा बनाकर बैठती हैं और फिर एक महिला 7 बार फेरी लगाकर एक-दूसरे से थाली बदलती हैं। इस फेरी के दौरान गीत गाएं जाते हैं। महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना करती जाती हैं और थाली को 7 बार फेरती जाती है।
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