धर्म डेस्क: पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा जाती हैं। यह त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सुबह-सुबह उठकर पूजा पाठ कर निर्जला व्रत करती हैं। पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है और शाम को सोलह श्रृंगार कर चंद्रमा को अर्ध्य कर छलनी से देखकर पति को देखती है। इसके बाद पति अपने हाथों से पानी पिलाकर पत्नियों का व्रत खोलते है। यह व्रत सदियों से रखा जा रहा है, लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर यह व्रत रखा क्यों जाता है। इसके पीछें कहानी क्या है। चलिए हम आपको बताते है कि आखिर इस व्रत के पीछे की कहानी क्या है।
करवा चौथ के व्रत को लेकर कई कहानियां प्रचलित है। इन्हीं कहानियों में से कुछ कहानियां हम आपको बता रहे है।
माना जाता है कि जब अर्जुन नीलगिरी की पहाड़ियों में घोर तपस्या लिए गए हुए थे तो बाकी चारों पांडवों को पीछे से अनेक गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। द्रौपदी ने श्रीकृष्ण से मिलकर अपना दुख बताया और अपने पतियों के मान-सम्मान की रक्षा के लिए कोई उपाय पूछा। श्रीकृष्ण भगवान ने द्रोपदी को करवाचौथ व्रत रखने की सलाह दी थी, जिसे करने से अर्जुन भी सकुशल लौट आए और बाकी पांडवों के सम्मान की भी रक्षा हो सकी थी।
इसके अलावा एक और पौराणिक कथा प्रचलित है इसके अनुसार एक किवदंति ने बताया कि सावित्री के पति सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए जब यमराज आए तो पतिव्रता सावित्री ने उनसे अपने पति सत्यवान के प्राणों की भीख मांगी और अपने सुहाग को न ले जाने के लिए निवेदन किया।
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