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Kartik Purnima 2018: 23 नवबंर को है कार्तिक पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के साथ महत्व

Kartik Purnima 2018: कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान, दान, दीपदान और हवन आदि का बहुत ही महत्व है। जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : November 22, 2018 19:04 IST
Purnima
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धर्म डेस्क: कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान, दान, दीपदान और हवन आदि का बहुत ही महत्व है। इस दिन विशेषकर पुष्कर में स्नान का महत्व है। आज के दिन किसी तीर्थ स्थल पर स्नान करने से वर्ष भर तीर्थस्थलों पर स्नान का फल मिलता है। साथ ही आज के दिन जो भी कुछ दान किया जाये, उसका कई गुना लाभ मिलता है। वास्तव में कार्तिक मास की पूर्णिमा मनुष्य के अंदर छुपी बुराईयों को, निगेटिविटी को, अहंकार, काम, क्रोध, लोभ और मोह को दूर करने में सहायता करती है और जीवन में पॉजिटिविटी, प्रसन्नता और पवित्रता का संचार करती है।

पूर्णिमा तिथि कब से कब तक

पूर्णिमा तिथि कल दोपहर 12 बजकर 54 मिनट पर शुरू हुई थी और आज सुबह 11 बजकर 09 मिनट तक रहेगी। इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिनों तक होने से पूर्णिमा का व्रत तो कल ही किया जा चुका है, लेकिन स्नान-दान की पूर्णिमा आज के दिन की जायेगी। कार्तिक पूर्णिमा को स्नान-दान का बहुत ही महत्व होता है और वो भी तब जब कार्तिक पूर्णिमा कृतिका नक्षत्र से युक्त हो। आज के दिन शाम 04:41 तक कृतिका नक्षत्र रहेगा। कृतिका नक्षत्र से युक्त पूर्णिमा को महाकार्तिकी के नाम से भी जाना जाता है। (23 नवंबर 2018 राशिफल: बन रहा कृतिका नक्षत्र, इन 5 राशियों के किस्मत के सितारे रहेंगे बुलंदी पर )

कार्तिक पूर्णिमा के दिन ऐसे करें पूजा
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर गंगा स्नान या घर पर स्नान कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें। स्नान करने के बाद हाथ में कुश लें और दान देते हुए संकल्प लें। इससे आपको पूरा लाभ मिलेगा। इस दिन व्रत रखें। अगर नहीं हो सकता है, तो कम से कम 1 समय तो जरुर रखें। इसके बाद श्री सूक्त और लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करते हुए हवन करें। इससे महालक्ष्मी प्रसन्न होगी। (गुरु नानक जयंती 2018: जानिए क्यों खास है सिखों के लिए यह दिन, कैसे किया जाता है सेलिब्रेट?)

घर पर हवन या पूजन के साथ-साथ दान करें। इसके साथ ही शाम को किसी मंदिर में जाकर दीपदान करें।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा और गंगा स्नान की पूर्णिमा के नाम से बी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसी वजह से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इसी के साथ कार्तिक पूर्णिमा की शाम भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार उत्पन्न हुआ था। साथ ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि गंगा स्नान के बाद किनारे दीपदान करने से दस यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है।

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