धर्म डेस्क: कार्तिक पूर्णिमा का अपना ही एक अलग महत्व है। इसे त्रिपूर्णिमा के नाम से भा जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। जिसके बाद से भगवान शिव की पूजा 'त्रिपुरारी' के रुप में की जाती है। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान विष्ण ने 'मत्स्य' यानी की मछली के रुप में अवतार लिया था।
हर साल 12 पूर्णिमाएं पड़ती है। जिसका अपना-अपना महत्व होता है। जो पूर्णिमा कार्तिम मास में आती है। उसे कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस बार ये 4 नवंबर, शनिवार को है।
इस दिन स्नान, दान, यज्ञ, पूजा का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन ये चीजें करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इसके साथ ही लंबी आयु होती है।
शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 3 नवंबर की रात 1 बजकर 46 मिनट से शुरु होकर 4 नवंबर के 10 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 36 मिनट होगा और सूर्यास्त का समय 5 बजकर 43 मिनट हो सकता है। लेकिन इस दिन आप दिन भर पूजा कर सकते है।
ऐसे करें पूजा
गंगा स्नान या घर पर स्नान कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें। स्नान करने के बाद हाथ में कुश लें और दान देते हुए संकल्प लें। इससे आपको पूरा लाभ मिलेगा। इस दिन व्रत रखें। अगर नहीं हो सकता है, तो कम से कम 1 समय तो जरुर रखें। इसके बाद श्री सूक्त और लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करते हुए हवन करें। इससे महालक्ष्मी प्रसन्न होगी।
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