हिन्दू पंचांग के अनुसार 19 अक्टूबर से नया महीना कार्तिक शुरू हो रहा है। यह मास 19 नवंबर तक चलेगा, जिसके कारण इस माह में करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली,सहित कई बड़े तीज-त्योहार पड़ रहे हैं।
22 अक्टूबर, अशून्य शयन द्वितीया व्रत
अशून्य शयन द्वितीया व्रत पड़ रहा है। दरअसल अशून्य शयन द्वितीया का अर्थ ही होता है कि अकेले न सोना पड़े, यानि लंबे समय तक दोनों का साथ बना रहे, लिहाजा पति इस व्रत को करके अपने जीवनसाथी का साथ सुनिश्चित कर सकता है।
24 अक्टूबर, करवा चौथ
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्र दर्शन के बाद व्रत पूरा होता है।
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28 अक्टूबर, अहोई अष्टमी व्रत
अहोई अष्टमी व्रत किया जाएगा। यह त्योहार करवाचौथ से चार दिन बाद और दिवाली से 8 दिन पहले मनाया जाता है। अहोई अष्टमी का ये त्योहार संतान के लिये किया जाता है | इस दिन माताएं अपने बच्चों के सुखी जीवन, उनकी खुशहाली, लंबी आयु और उनके जीवन में धन-धान्य की बढ़ोतरी के साथ ही करियर में सफलता के लिये व्रत करती हैं |
1 नवंबर, रमा एकादशी
कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी को ‘रम्भा’ या ‘रमा’ एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन श्री विष्णु जी की पूजा का विधान है। रम्भा एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा करने से और व्रत करने से व्यक्ति को उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।
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2 नवंबर, भौम प्रदोष व्रत
इस दिन भौम प्रदोष व्रत किया जायेगा। भौम प्रदोष का व्रत करने से कर्ज से भी छुटकारा मिलता है । इसके साथ ही इस दिन से पंचदिवसीय दीपोत्सव शुरू हो रहा है, जिसमें पहले धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और आखिर में भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है। 2 नवंबर को धनतेरस मनाई जाएगी।
3 नवंबर, रूप चतुर्दशी
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। ये दिवाली उत्सव का दूसरा दिन है। इसे रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पूरे शरीर पर तेल मालिश करनी चाहिए और उसके कुछ देर बाद स्नान करना चाहिए। माना जाता है कि चतुर्दशी को लक्ष्मी जी तेल में और गंगा सभी जलों में निवास करती हैं ।
4 नवंबर, दिवाली
कार्तिक मास की अमावस्या के साथ दीपावली का पर्व भी है। इस दिन देवी लक्ष्मी का विशेष पूजन करें। इसके साथ ही पूरे घर को दीपक से सजाएं।
5 नवंबर, गोवर्धन पूजा
दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परंपरा है।
6 नवंबर, भाई दूज
इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना जी से मिलने उनके घर पहुंचते है। इस दिन यमराज और यमुना जी की विशेष पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही भाई को तिलक लगाना चाहिए।
8 नवंबर, विनायकी चतुर्थी, छठ पर्व शुरू
भगवान गणेश जी के लिए व्रत किया जाता है। इसी दिन से छठ पूजा पर्व शुरू हो जाता है।
10 नवंबर, छठ पूजा
इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। भक्त निर्जला उपवास करते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
13 नवंबर , अक्षय नवमी
इसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही आंवला के पेड़ के नीचे भोजन करने का विधान है।
15 नवंबर, देवउठनी एकादशी है
इस दिन तुलसी का विवाह शालीग्राम जी के साथ करवाया जाता है। मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु शयन से जागते हैं।
18 नवंबर, वैकुंठ चतुर्दशी
इस दिन शिव जी भगवान विष्णु को सृष्टि का भार फिर से सौंपते हैं और भगवान विष्णु सृष्टि का संचालन करना शुरू करेंगे।
19 नवंबर, गुरुनानक जयंती
इस दिन कार्तिक मास की पूर्णिमा है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करें। इसके साथ ही स्नान-दान करना शुभ माना जाता है।