धर्म डेस्क: कार्तिक मास की शुरुआत हो चुकी है। जो कि पूरे एक माह 24 नवंबर 2018 तक चलेगा। हिंदू धर्म में कार्तिक मास को पवित्र माह माना जाता है। जिस तरह सावन की शुआत होती है। वह बहुत ही पावन माना जाता है। इसी तरह इसे भी माना जाता है। इस माह से शुभ काम करने की शुरुआत हो जाती है। इस माह तुलसी का पौधा लगाना और विवाह बहुत ही सर्वोत्तम माना जाता है। कहा जाता है कि कार्तिक मास में मां लक्ष्मी प्रथ्वी पर भ्रमण करती है। इस महीने त्रयोदशी, दीपावली और गोपाष्टमी मनाते है। कार्तिक मास के भी कुछ नियम होते है। जिन्हें मानना बहुत ही जरुरी होता है। जानिए इस मास में कौन से काम करने से बचना चाहिए।
कार्तिक का महीना स्नान और दान-पुण्य के लिये विशेष महत्व रखता है। इस महीने में पूजा- पाठ और स्नान-दान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। विष्णुधर्मसूत्र, कृत्यकल्पतरू, हेमाद्रि, पद्मपुराण, निर्णयसिन्धु और गरूड़ पुराण में बताया गया है कि कार्तिक मास में घर से बाहर किसी पवित्र नदी में स्नान, गायत्री जप एवं दिन में केवल एक बार भोजन करके व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं और उसकी तरक्की होती है, बता दूं कि कार्तिक मास के दौरान प्रयाग नदी में स्नान और दर्शन विशेष लाभकारी हैं, लेकिन अगर आप दूर किसी पवित्र नदी में स्नान करने में असमर्थ हैं तो आप घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर उन नदियों का भाव अपने मन में रखकर, जैसे कि आप वहीं पर स्नान कर रहे हों तो स्नान कीजिए। (Kartik Mass 2018: आज से शुरू कार्तिक मास, करोड़पति बनने के लिए लगातार 30 दिन राशिनुसार करें ये उपाय )
इस मास में विधि विधान से काम करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इन दिनों में कुछ ऐसे काम है जो नही करने चाहिए। जानिए ऐसे कामों के बारें में जो इस मास कौन से काम न करने चाहिए। (कार्तिक मास 2018: यह माह तुलसी पूजन के लिए बहुत ही शुभ, इस दिशा में लगाने से मिलेगा धन-धान्य )
तेल सिर्फ एक दिन ही लगाएं
पुराणों में माना जाता है कि इस मास में तेल लगाना वर्जित है। आप सिर्फ कार्तिक मास में केवल एक बार नरक चतुर्दशी यानि कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए।
दलहन निषेध
कार्तिक मास में कोई भी दाल जैसे कि उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए। इस माह में हल्का आहार करना चाहिए। साथ ही गरिष्ठ भोजन से परहेज करना चाहिए।
ब्रह्मचर्य का करें पालन
ब्रह्मचर्य का मतलब है कि किसी भी आचरण में न पड़ना चाहिए, केवल भगवान की भक्ति करना है। कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आप इसका पालन नही करते है, तो पति-पत्नी को दोष लगता है। साथ ही अशुभ फल मिलता है।
संयम रखें
इस मास में खुद में संयम होना चाहिए। अगर आप व्रत रखते है तो आपको एक तपस्वी की तरह व्यवहार रखना चाहिए यानि कि काम की बातें करनी चाहिए हो सकें तो कम ही बोलना चाहिए। किसी की बुराई या लडाई नही करना चाहिएं। अपने चंचल मन में संयम रखना चाहिए।