Monday, December 23, 2024
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16 जुलाई को है कर्क संक्रांति, जानें इस दिन से शुभ कार्यों को करना क्यों होता है मना

16 जुलाई को सूर्य एक बार फिर से कर्क राशि में जा रहा है। इस दिन को ही कर्क संक्रांति कहा जाता है। मान्यता है कि इस समय शुभ कार्यों में देवों का आशीर्वाद नहीं मिलता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : July 08, 2020 13:36 IST
Sun
Image Source : INSTAGRAM/KRISTY_ANN7 Sun - सूर्य

16 जुलाई को सूर्य एक बार फिर से कर्क राशि में जा रहा है। इस दिन को ही कर्क संक्रांति कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार कर्क संक्रांति को छह महीने के उत्तरायण काल का अंत माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन से दक्षिणायन की शुरुआत होती है जो कि मकर संक्रांति तक चलती है। संक्रांति के दिन पितृ दर्पण, दान, धर्म और स्नान का बहुत महत्व है। इस दिन को भारत में कई जगहों पर धूमधाम से मनाया जाता है। सूर्य के कर्क राशि में आते ही कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। मान्यता है कि इस समय शुभ कार्यों में देवों का आशीर्वाद नहीं मिलता है। 

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कर्क राशि में सूर्य का गोचर

16 जुलाई को सुबह 10 बजकर 32 मिनट पर सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेगा। इस राशि में सूर्य 16 अगस्त, 2020 शाम को 6 बजकर 56 मिनट तक इसी राशि में रहेगा। 

कर्क संक्रांति के दिन करें ये काम

  • सूर्य भगवान के मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • मंत्र- ऊं आदित्याय नम:
  • किसी निर्धन या जरुरतमंद को वस्त्र या अन्न का दान दें।
  • पीपल या बरगद का पेड़ लगाएं।
  • एक तांबे का कड़ा या छल्ला पहनना शुभ होता है।

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ये है शुभ काम न करने की वजह 
मकर संक्रांति से अग्नि तत्व बढ़ता है। इस दिन से चारों ओर सकारात्मकता और शुभ ऊर्जा का संचार होता है। ठीक इसे उलट कर्क संक्रांति से जल तत्व की अधिकता हो जाती है। इस वत वजह से आसपास नकारात्मका आने लगती है। यानी कि सूर्य के उत्तरायण होने से शुभता में वृद्धि होती है तो वहीं सूर्य के दक्षिणायन होने से नकारात्मक शक्तियां प्रभावी हो जाती हैं। फलस्वरूप देवताओं की शक्तियां कमजोर होने लगती है। यही वजह है कि इस दिन से शुभ कार्य रोक दिए जाते हैं। 

इस दिन से सूर्य के साथ अन्य देवता गण भी निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान भोलेनाथ की सृष्टि को संभालते हैं। इसी वजह से सावन के महीने में शिल पूजन का महत्व और बढ़ जाता है। 

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