धर्म डेस्क: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। कामदा एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है। हिन्दू और वैष्णव समाज में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण मन जाता है। फलदा एकादशी को श्री विष्णु का उत्तम व्रत कहा गया है। इस व्रत के पुण्य से जीवात्मा को पाप से मुक्ति मिलती है।
हर साल 24 एकादशियां होती है, अधिकमास या मलमास के आने पर इनकी संख्या 26 हो जाती है। पद्म पुराण के अनुसार कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह एकादशी चैत्र नवरात्र के बाद आती है। इस बार यह व्रत 27 मार्च, मंगलवार को है।
शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति विधि-विधान से एकादशी का व्रत और रात्रि जागरण करता है उसे वर्षों तक तपस्या करने का पुण्य प्राप्त होता है। इसके साथ ही प्रेत योनि से निजात मिलता है। इस व्रत से कई पीढियों द्वारा किए गए पाप भी दूर हो जाते है।
शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 03:43 मिनट (27 मार्च 2018)
एकादशी तिथि समाप्त: 28 मार्च 2018 1:31 मिनट
पारण का समय: 28 मार्च 6: 59 मिनट से 8:46 मिनट
कामदा एकादशी पूजा विधि
इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। फिर स्वच्छ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। घी का दीप अवश्य जलाए। जाने-अनजाने में आपसे जो भी पाप हुए हैं उनसे मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
इस दौरान ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप निरंतर करते रहें। एकादशी की रात्रि प्रभु भक्ति में जागरण करे, उनके भजन गाएं। साथ ही भगवान विष्णु की कथाओं का पाठ करें। द्वादशी के दिन उपयुक्त समय पर कथा सुनने के बाद व्रत खोलें।
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