मनुष्य के जन्म को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार जीवात्मा 84 लाख योनियों में भटकने के बाद ही मनुष्य का जन्म पाती है। कहा तो ये भी जाता है कि मनुष्य का जन्म तभी मिलता है जब आपने अच्छे कर्म किए हों। इसीलिए मनुष्य को अपना जीवन हमेशा ऐसे जीना चाहिए कि वो लोगों के लिए मिसाल बन जाए। छल, कपट, राग और द्वेष सभी से दूर रहकर ही मनुष्य अपने जीवन को सफल बना सकता है।
मनुष्य के जन्म के साथ ही उसके जहन में कई सारे सवाल तैरते रहते हैं। ये वो सवाल हैं जो कई बार आपने सुने तो होंगे लेकिन उनका जवाब ढूंढने की कोशिश कम लोग ही करते हैं। इन सवालों में ही जिंदगी का पूरा सार छिपा है। आज हम उन्हीं सवालों में से एक सवाल का विश्लेषण करेंगे। आज का ये सवाल शैतान और इंसान में क्या फर्क है इस पर आधारित है।
शैतान और इंसान में क्या फर्क है?
ये सवाल बोलने या पढ़ने में आपको जितना आसान लगे लेकिन इसका जवाब उतना ही गहरा है। जीवन का सबसे कड़वा सच है मौत। जिसने जन्म लिया है उसकी मौत निश्चित है। इस सच को कोई भी बदल नहीं सकता। ठीक इसी तरह इस सवाल का जवाब मनुष्य के कर्मों में छिपा है। मनुष्य जैसा कर्म करता है लोग मरने के बाद उसे या तो नेक इंसान कहेंगे या फिर शैतान से उसकी तुलना करेंगे।
अगर किसी मनुष्य ने अपनी जिंदगी में किसी का बुरा न सोचा और न किया, सबसे प्रेम से बात की और इतने अच्छे कर्म किए तो ऐसे व्यक्ति की तारीफ करते नहीं थकेंगे। लोग ऐसे व्यक्ति की मौत पर सही में अफसोस करेंगे। यहां तक कि उससे जाने के बाद जब भी वो उसे याद करेंगे तो उनके मन में उस व्यक्ति के लिए ढेर सारा प्यार और सम्मान होगा। इसके उलट काम करने पर लोग व्यक्ति को बुरा ही कहेंगे। यहां तक कि उससे नफरत भी करने लगेंगे। ऐसा व्यक्ति मनुष्य नहीं बल्कि शैतान कहलाएगा।
ये मनुष्य पर निर्भर करता है कि उसे अपना जीवन किस तरह से जीना है। मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर इंसान और शैतान की श्रेणी में रखा जाएगा। इसीलिए जब भी कोई काम करें तो ये जरूर सोच लें कि आपको मनुष्य का शरीर कितने अरसे बाद मिला है। इसलिए हमेशा वो काम करें जिससे किसी के दिल को चोट न पहुंचे।