धर्म डेस्क: हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को एक खास व्रत होता हैं। जिस दिन माता पार्वती को प्रसन्न कर आसानी से उनकी कृपा पा सकते हैं। इस व्रत को विजया या जया पार्वती व्रत के नाम से जाना जाता हैं। इस बार ये व्रत 17 जुलाई, रविवार को है।
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भविष्योत्तर पुराण के अनुसार यह व्रत महिलाओं द्वारा किया जाता है। इस व्रत को करने से स्त्रियां सौभाग्यवती होती हैं। जिससे वह कभी विधवा नहीं होती हैं। वही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को इस व्रत का रहस्य बताया था। जानिए इस व्रत को करने की विधि और कथा के बारें में।
व्रत-विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प करके माता पार्वती का स्मरण करें। फिर घर के मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति, तस्वीर स्थापित करें। फिर इनकी पूजा शुरु करें। इसके लिए सबसे पहले बसे पहले कुमकुम, कस्तूरी, अष्टगंध, शतपत्र और फूल चढ़ाएं।
इसके बाद नारियल, दाख, अनार व अन्य ऋतुफल अर्पित करें। विधि-विधान से षोडशोपचार पूजन करें। माता पार्वती का स्मरण करें व उनकी स्तुति करें, जिससे वे प्रसन्न हों। मां पार्वती का ध्यान कर उनसे सुख, सौभाग्य और घर में शांति के लिए प्रार्थना करें। और आपके द्वारा हुई गलतिों की माफी मांगे। जिससे आपके ऊपर मां की कृपा बनी रहें। इसके बाद कथा करें। कथा के बाद आरती करें। पूजन के बाद ब्राहम्ण को भोजन कराएं और अपनी इच्छानुसार दक्षिणा दें।
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