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जन्माष्टमी 2019: अपनी मृत्यु के समय श्री कृष्ण के साथ थी राधा रानी, किया था ये आग्रह

कृष्ण से बिछड़ने के बाद राधा जीवन पर्यन्त उनसे नहीं मिलीं। लेकिन मृत्यु से ऐन पहले राधा श्री कृष्ण के पास थी। जानिए रोचक कथा।

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 22, 2019 17:44 IST
radha krishna- India TV Hindi
Image Source : GOOGLE radha krishna

देश भर में  Janmashtami 2019 का उत्साह चरम पर है। कई जगहों पर जन्माष्टमी 23 अगस्त को और कई जगहों पर 24 अगस्त को मनाई जा रही है। कृष्ण का नाम हमेशा राधा के साथ लिया जाता है। भले ही राधा और कृष्ण radha krishna विवाह नहीं हो पाया हो लेकिन हर मंदिर में आपको कृष्ण के साथ राधा की मूर्ति जरूर देखने को मिलेगी। 16000 रानियों के बावजूद श्री राधा जी का कृष्ण महिमा में जो स्थान है , वो अन्य किसी का नहीं है। 

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लेकिन प्रश्न उठता है कि जब राधा और कृष्ण एक ही थे, एक ही शक्ति के दो रूप थे, दो शरीर एक जान थे तो श्रीकृष्ण के गोकुल छोड़ने के बाद राधा का जिक्र कहीं क्यों नहीं होता। क्यों सिर्फ  राधा का जिक्र गोकुल और वृंदावन की गलियों तक सीमित रह गया। कृष्ण ने बाल अवतार में जितने चमत्कार किए, तरुणाई में जितनी लीलाएं की और यौवन में जितने युद्ध जीते, सबका वर्णन है ऋगु संहिता में है लेकिन राधा का नहीं। 

प्रचलित कथाओं के अनुसार जब कंस ने कृष्ण को मथुरा बुलाया तो कृष्ण जान चुके थे कि उन्हें अब वृंदावन छोड़कर राजकाज के महासमर में उतरना होगा। वो आखिरी बार राधा से मिलने पहुंचे। राधा और कृष्ण आत्मा और परमात्मा की तरह हैं। दोनों एक ही हैं, लिहाजा जब राधा को पता चला कि कृष्ण जा रहे हैं तो वो रोई नहीं बल्कि उन्होंने कहा कि आप जाइए और धरती लोक पर अपने आने के सभी उद्देश्यों को पूरा कीजिए। मैं हमेशा अपने मन में कृष्ण को बसाए रखूंगी।

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जब कृष्ण ने वृंदावन छोड़ा तो वो फिर कभी नहीं लौटे। उधर राधा जी के विवाह को लेकर कई कथाएं है। एक कथा में कहा गया है कि उनका विवाह यशोदा माता के भाई अनय से हुआ। इस  मान्यता के चलते ही कई बार कहा जाता है कि राधा रिश्ते में कृष्ण की मामी लगती थी। दूसरी कथा के अनुसार राधा का विवाह अभिमन्यू नामक युवक से हुआ जो जावतगांव की गोपी जतिला का पुत्र था।

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वहीं गर्ग संहिता कहती है कि राधा ने जब अभिमन्यू से विवाह किया तो वो अपनी परछाई (छाया और माया) को अपने मायके में ही छोड़ गई और उस परछाई में ही राधा की आत्मा थी जिसका परमपिता ब्रह्मा की मदद से भंडीर के जंगलों में श्री कृष्ण से विवाह हुआ। उस विवाह की साक्षी कृष्ण की करीबी गोपिया ललिता और विशाखा थी। इस विवाह के तुरंत बाद कृष्ण बाल रूप में नंद बाबा की गोद में खेलने लगे और राधा, ब्रह्मा औऱ गोपियां आकाश में विलीन हो गईं।

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कैसे हुई राधा की मृत्यु

राधा जी की मृत्यु को लेकर भी कई कथाएं प्रचलित हैं। दांपत्य जीवन के सारे कर्तव्यों को पूरा करने के बाद जब राधा अपने अंतिम दिनों में थी तो उन्हें ब्रह्मा जी का संदेशा आया कि अब तुम्हारे कर्तव्य समाप्त हुए। तब राधा आखिरी बार कृष्ण को देखने और मिलने के मोह में अकेली द्वारका जा पहुंची। कृष्ण ने महल के बाहर भीड़ में ही राधा को पहचान लिया। लेकिन दोनों ने बात नहीं की और संकेतों के जरिए एक दूसरे से हाल चाल पूछा।

राधा कुछ समय द्वारका में रही और जब उनका अंतिम समय आया तब चुपके से कृष्ण उनके पास पहुंचे। राधा के आग्रह पर कृष्ण ने आखिरी बार बांसुरी बजाकर उन्हें सुनाई और बांसुरी सुनते सुनते राधा ने शरीर से प्राण त्याग दिए। लेकिन उनकी आत्मा कृष्ण में विलीन हो गई। तब कृष्ण ने बांसुरी तोड़कर फैंक दी और फिर कभी नहीं बजाई।   

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