धर्म डेस्क: आज पूरी दुनिया में श्री कृष्ण जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है। भारत देश में तो इसको मनाने का एक अलग ही उत्साह और उल्लास है। हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का व्रत बड़ा माना जाता है, लेकिन इस बार इस व्रत को लेकर लोग थोड़े असमंजस की स्थिति में है। दरअसल श्री कृष्ण का जन्म भादप्रद माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्य रात्रि के रोहिणी नक्षत्र में वृष के चंद्रमा में हुआ था। जो कि इस बार 14 अगस्त की शाम 7 बजकर 48 मिनट से शुरु होकर 15 अगस्त की शाम 5 बजकर 42 मिनट कर रहेगी।
हम आपको बता दें कि जन्माष्टमी के समय कृष्ण का जन्म रात के समय किया जाता है। जिसके कारण आज आप ये व्रत रख रात को 12 बजे जन्मोंत्सव माना सकते है।
श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी तो सभी बडी धूमधाम से मनाते है, लेकिन अगर यही पूजा विधि विधान से की जाए तो श्री कृष्ण की कृपा आप पर ज्यादा होगी जो आपके लिए बहुत ही शुभ होगी। श्री कृष्ण की जन्माष्टमी की तरह मनानी चाहिए और क्या-क्या कैसे करना चाहिए । इसके बारें में ठीक ढंग से जानकारी गरुण पुराण के अध्याय 131 में बताया गया है । जानिए किस मंत्र और किस तरह करनी चाहिए पूजा।
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भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को आधी रात में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था इसलिए इसी दिन यह व्रत करना चाहिए। इस दिन आप पूरें दिन व्रत रखें और भगवान हरि की पूजा मंत्रों से करके रोहिणी नक्षत्र के अंत में पारण करें। अर्द्ध रात्रि में जब आज श्री कृष्ण की पूजा करें तो उन्हे सबसे पहलें स्नान कराए। स्नान कराते वक्त इस मंत्र का ध्यान करें-
"ऊं यज्ञाय योगपतये योगेश्रराय योग सम्भावय गोविंदाय नमो नम:"
इसके बाद श्री हरि की पूजा इस मंत्र के साथ करनी चाहिए
"ऊं यज्ञाय यज्ञेराय यज्ञपतये यज्ञ सम्भवाय गोविंददाय नमों नम:"
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