नई दिल्ली: यूं तो पूरे देश में जन्माष्टमी की धूम है और हर कोई बाल गोपाल कृष्ण की भक्ति में सरोबार है लेकिन श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में जन्माष्टमी का कुछ अलहदा ही रंग देखने को मिलता है। यमुना किनारे बसे मथुरा जहां कृष्ण का जन्म हुआ था,यहां की गलियों से जब आप गुजरते हो तो राधे-राधे और ब्रज के नंदलाल के जयकारें आपको सुनाई देते हैं।
आज जन्माष्टमी पर हम आपको भगवान कृष्ण की जन्मस्थली लेकर चल रहें हैं जहां भगवान कृष्ण का आज से 5 हजार 240 साल पहले माता देवकी के गर्भ से वासुदेव पुत्र श्री कृष्ण का इसी नगरी मथुरा में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। वैसे तो हर साल यहां लाखों भक्त आते हैं लेकिनल जन्माष्टमी पर आने वाले भक्तों की संख्या और उत्साह दोनो ही देखते ही बनता है।
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मथुरा में यमुना किनारे श्री कृष्ण का जन्मस्थली है जिसका मुख्य द्वार बहुत ही भव्य बना हुआ है।मुख्य द्वार पर भाला लिए दो प्रहरी खड़ें नजर आते हैं, और द्वार पर अर्जुन का रथ बना हुआ भी दिखलाई पड़ता है जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है। मुख्य द्वार के अलावा एक अन्य द्वार भी है जो पीछे की तरफ से है जहां से भगवान श्री कृष्ण के भक्तों को जन्मस्थली देखने के लिए प्रवेश कराया जाता है। अंदर 30 सीढि़यों वाला रास्ता बना है जो चारों तरफ से है,यहां से एक सकरा रास्ता है जो आपको वहां ले जाता है जहां भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। यहां आपको एक ऐतिहासिक कुछ भी नजर आता है।
जन्माष्टमी के दिन यहां सुबह 6 बजे मंगलाआरती होती है, उसके बाद भक्तों के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाते हैं और जन्मोत्सव से जुड़ें प्रोग्राम शुरु हो जाते हैं और रात 12 बजे यहीं भगवान श्री कृष्ण का जन्म होता है और उसके बाद पूरी नगरी कृष्ण की भक्तिसागर में डूब जाती है जिसका वर्णन अकल्पनीय है।