नई दिल्ली: जैन मुनी तरुण सागर का दिल्ली में शनिवार को 51 वर्ष की उम्र में पीलिया के कारण निधन हो गया। वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्होनें शनिवार रात 3 बजकर 11 मिनट पर राधेयपुरी, कृष्णानगर में आखिरी सांस ली। हम उन्हें हमेशा आदर्शों, करुणा और समाज में योगदान के लिए याद करेंगे। जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज का शनिवार सुबह निधन हो गया। 51 साल की उम्र में उन्होंने पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके में स्थित राधापुरी जैन मंदिर में अंतिम सांस ली। अपने कड़वे प्रवचनों और बयानों के लिए प्रसिद्ध जैन मुनि तरुण सागर को मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार के द्वारा पूर्व में राजकीय अतिथि के सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।
हंसते मनुष्य हैं कुत्ते नहीं- उन्होंने अपने प्रवचन में कहा है कि हंसने का गुण सिर्फ मनुष्यों को प्राप्त है इसलिए जब भी मौका मिले जी खोल कर मुस्कुराइए। कुत्तों चाहकर भी नहीं मुस्कुरा सकता है। किसी को बदल नहीं सकते हैं- उनके अपने एक अन्य प्रवचन में कहा है कि परिवार में आप किसी को बदल नहीं सकते हैं लेकिन आप अपने आप को बदल सकते हैं, आप पर ही आपका पूरा अधिकार है।
कन्या भ्रूण हत्या पर जैन मुनि के विचार- कन्या भ्रूण हत्या पर जैन मुनि तरुण सागर महाराज ने एक बार अपने प्रवचन में कहा था कि जिनकी बेटी ना हो उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए और जिस घर में बेटी ना हो वहां शादी ही नहीं करनी चाहिए। जिस घर में बेटी ना हो उस घर से साधु-संतों को भिक्षा भी नहीं लेनी चाहिए। राजनीति और धर्म पति-पत्नी- राजनीति और धर्म जैसे ज्वलंत विषयों पर भी जैन मुनि तरुण सागर ने अपने विचार रखे हैं। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा है कि राजनीति को धर्म से ही हम कंट्रोल करते हैं। अगर धर्म पति है तो राजनीति पत्नी। जिस तरह अपनी पत्नी को सुरक्षा देना हर पति का कर्तव्य होता है वैसे ही हर पत्नी का धर्म होता है कि वो पति के अनुशासन को स्वीकार करे। ठीक ऐसा ही राजनीति और धर्म के बीच होना चाहिए। क्योंकि बिना अंकुश के हर कोई बेलगाम हाथी की तरह होता है।
भगवाकरण पर जैन मुनि के विचार- एक बार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर आऱोप लगा था कि उन्होंने राजनीति का भगवाकरण कर दिया है। इस पर जैन मुनि तरुण सागर ने कहा था कि उन्होंने भगवाकरण नहीं बल्कि शुद्धिकरण किया है। जीवन का सार- जीवन के सार पर प्रवचन देते हुए जैन मुनि तरुण सागर ने कहा था कि पूरी दुनिया को आप चमड़े से नहीं ढ़क सकते हैं लेकिन चमड़े के जूते पहन कर चलेंगे तो दुनिया आपके जूतों से ढक जाएगी। यही जीवन का सार है।
आपके नोट नहीं खोट चाहिए- मैं आपकी गलत धारणाओं पर बुलडोजर चलाऊंगा। आज का आदमी बच्चों को कम, गलत धारणाओं को ज्यादा पालता है। इसलिए वह खुश नहीं है। इसलिए मुझे आपके नोट नहीं, आपके खोट चाहिए। दुनिया को धन से मतलब- इस मतलबी दुनिया को ध्यान से नहीं, धन से मतलब है। भजन से नहीं, भोजन से व सत्संग से नहीं, राग-रंग से मतलब है। सभी पूछते हैं कि घर, परिवार व व्यापार कितना है। कोई नहीं पूछता कि भगवान से कितना प्यार है।(Janmashtami 2018: चाहिए प्यार के साथ तरक्की और सुख-शांति, जन्माष्टमी के दिन करें राशिनुसार ये खास उपाय)
नेताओं में और महिलाओं में एक समानता- नेता व महिलाओं में एक समानता है प्रसव की। महिला के लिए नौ माह व नेताओं के लिए पांच साल का प्रसव वर्ष होता है। कोई गर्भवती महिला आठ माह अपने परिवार का ख्याल रखती है और नौवें महीने परिवार महिला का ख्याल रखता है। नेता ठीक इसके विपरीत होते हैं। जनता चार साल तक नेताओं का ख्याल रखती है और नेता चुनाव आते समय एक साल जनता का ख्याल रखता है। महिला जिसे जनती है, उसे अपने गोद में बिठाती है। इसके विपरीत नेता कुर्सी में बैठकर बड़ा बनता है। दूसरों के द्वारा की गई प्रार्थना किसी काम की नहीं- तुम्हारी वजह से जीते जी किसी की आंखों में आंसू आए तो यह सबसे बड़ा पाप है। लोग मरने के बाद तुम्हारे लिए रोए, यह सबसे बड़ा पुण्य है। इसीलिए जिंदगी में ऐसे काम करो कि, मरने के बाद तुम्हारी आत्मा की शांति के लिए किसी और को प्रार्थना नहीं करनी पड़े। क्योंकि दूसरों के द्वारा की गई प्रार्थना किसी काम की नहीं है।(वास्तु टिप्स: हमेशा लकड़ी के फर्नीचर रखें इस दिशा में, मिलेंगे बेहतरीन फायदे)