- कहा जाता है कि उगर एक बार धुनी जल गई तो वह हमेशा जलनी चाहिए। इसी कारण साधु हमेशा उस धुनी के पास ही रहता है। अगर उसे कोई काम है तो उसका सेवक वहां पर उपस्थित रहेगा।
- साधुओं के चिमटा और धुनी के बीच बहुत ही गहरा संबंध होता है। इस चिमटे का सिर्फ एक ही उपयोग होता है वह है धुनी की सेवा करना।
- इस धुनी के बारें में मान्यता है कि अगर कोई साधु धुनी के पास बैठा है तो उस समय उसके द्वारा कही हर बात सच होती है। साथ ही उस समय जो भी आशीर्वाद देते है। वह भी पूर्ण होता है।
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