धर्म डेस्क: महाभारत के युद्ध के बारें में तो हर कोई जानता है। कौरवों और पांडवो के इस भीषण युद्ध में कौरवों की हार हुई थी। जिसमें अर्जुन प्रमुख पात्रों में से एक माने जाते है। आप सभी लोग उनकी मृत्यु के बारें में जानते है कि वह स्वर्ग की यात्रा करते समय मृत्यु हुई थी। लेकिन आप ये बात नहीं जानते होगे शायद कि पहले भी उनकी मृत्यु हो चुकी थी और वह दोबारा जीवित हुए। जानिए इससे जुड़ी कथा के बारें में।
अश्वमेध यज्ञ
यह यज्ञ एक ऐसा यज्ञ है। जिसमें एक घोड़ा छोड़ा जाता है और एक वीर पुरुष या रक्षक को उसके साथ छोड़ दिया जाता है। जहां-जहां से वह घोड़ा जाता है वहां के राजा को उस महावीर से युद्ध करना पड़ता है और यज्ञ के लिए कर देना पड़ता है। ऐसे ही श्री कृष्ण और महर्षि वेदव्यास के कहने पर पांडवो से अश्वमेध यज्ञ करने वा विचार किया। जिसके बाद यज्ञ का आरंभ किया गया और एक घोड़ा छोड़ा गया। जिसके साथ रक्षक के रुप में अर्जुन को जाने के लिए कहा गया।
ऐसे बना पुत्र अर्जुन की मृत्यु का कारण
किरात, मलेच्छ आदि देशों के राजाओं ने यज्ञ को घोड़े को रोक लिया। तब अर्जुन ने युद्ध कर उन्हें पराजित कर दिया। जिसके बाद विभिन्न राजाओं ने साथ अर्जुन का युद्ध हआ। जिसमें अर्जुन ने सभी राजाओं को हरा दिया। इसके बाद यह यज्ञ का घोड़ा घुमते-घुमते मणिपुर पहुंच गया। मणिपुर की राजकुमारी चित्रगंदा अर्जुन की पत्नी थी। और इनका पुत्र बभ्रुवाहन उस राज्य का राजा था।
पिता की खबर में किया उनका स्वागत
जब बभ्रुवाहन को इस बात का पता चला तो वह नगर के द्वार में उनका स्वागत करने के लिए गए, तो अर्जुन ने बोला कि मैं इस समय यज्ञ के घोड़े के साथ हूं। इसलिए तुम्हें मुझसे युद्ध करना होगा।
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