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निरंतर जलती रहती है ज्वाला, जानिए ज्वाला देवी के ये FACTS

यह तीर्थ स्थल देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ को ज्वालामुखी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को प्रमुख शक्ति पीठों में एक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ज्वाला देवी में सती की जिह्वा गिरी थी। जानिए इस मंदिर के बारें में रोचक बातें.

India TV Lifestyle Desk
Updated : July 11, 2016 23:09 IST
jwala devi
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धर्म डेस्क: हिमाचल प्रदेश के कांगडा जिले में कालीधर पहाड़ी पर स्थित है। ज्वालामुखी मंदिर, कांगडा घाटी से 30 कि॰मी॰ दक्षिण में हिमाचल प्रदेश में स्थित है।   यह तीर्थ स्थल देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ को ज्वालामुखी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को प्रमुख शक्ति पीठों में एक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ज्वाला देवी में सती की जिह्वा गिरी थी।

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ज्वालामुखी मंदिर का यह मंदिर अपने आप पर अनोखा है, क्योंकि हां पर माता की कोई भी मूर्ति नहीं है बल्कि धरती के गर्भ से निकल रही नौ ज्वालाओं की पूजा की जाती है। इन नौ ज्वालाओं जो चांदी के जाला के बीच स्थित है उसे महाकाली कहते हैं। अन्य आठ ज्वालाएं अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है।

मां के इस मंदिर का सबसे पहले निर्माण राजा भूमि चंद ने करवाया था। बाद में सन् 1835 में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसार चंद्र ने करवाया था। ये मंदिर अपने आप पर अनोखा है। इसकी इतनी प्रसिद्धि थी कि अखबर के कानों तक पंहुची।

जिसके कारण अखबर नें भी मां की परीक्षा ली, लेकिन मां के चमत्कार के आगे वो टिक न सका। जानिए आखिर ऐसा क्या हुआ। साथ और कुछ रोचक बातों के बारें में । जिन्हें जानकर आपके मन में माता के प्रति श्रृद्धा और बढ जाएगी।

बादशाह अखबर और  मां का भक्त ध्यानु

इस मंदिर के बारे में एक कथा अकबर और माता के परम भक्त ध्यानु भगत से जुडी हैं। जिन दिनों भारत में मुगल सम्राट अकबर का शासन था, उस समय की यह घटना है। हिमाचल के नादौन ग्राम निवासी माता का एक सेवक ध्यानु भक्त एक हजार यात्रियों सहित माता के दर्शन के लिए जा रहा था। इतना बड़ा दल देखकर बादशाह के सिपाहियों ने चांदनी चौक दिल्ली मे उन्हें रोक लिया और अकबर के दरबार में ले जाकर ध्यानु भक्त को पेश किया।

बादशाह ने पूछा तुम इतने आदमियों को साथ लेकर कहां जा रहे हो। ध्यानू ने हाथ जोड़ कर उत्तर दिया मैं ज्वालामाई के दर्शन के लिए जा रहा हूं मेरे साथ जो लोग हैं, वह भी माता जी के भक्त हैं, और यात्रा पर जा रहे हैं।

अकबर ने सुनकर कहा यह ज्वालामाई कौन है? और वहां जाने से क्या होगा? ध्यानू भक्त ने उत्तर दिया महाराज ज्वालामाई संसार का पालन करने वाली माता है। वे भक्तों के सच्चे ह्दय से की गई प्राथनाएं स्वीकार करती हैं। उनका प्रताप ऐसा है उनके स्थान पर बिना तेल-बत्ती के ज्योति जलती रहती है। हम लोग प्रतिवर्ष उनके दर्शन जाते हैं।

अकबर ने कहा अगर तुम्हारी बंदगी पाक है तो देवी माता जरुर तुम्हारी इज्जत रखेगी। अगर वह तुम जैसे भक्तों का ख्याल न रखे तो फिर तुम्हारी इबादत का क्या फायदा? या तो वह देवी ही यकीन के काबिल नहीं, या फिर तुम्हारी इबादत झूठी है।

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