दान, स्नान का है अधिक महत्व
कार्तिक माह में स्नान, दान का विस्ष महत्व है। वाराणसी, पुष्कर आदि तीर्थ स्थानों में स्नान करने के लिए दूर-दूर से आते है। इन स्थानों पर दीपक जलाने या दीपदान करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। इस मास में शिव, चण्डी, सूर्य तथा अन्य देवों के मंदिरों में दीप जलाने तथा प्रकाश बहुत महत्व है।
आश्विन शुक्ल पक्ष से कार्तिक शुक्ल पक्ष तक पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करना श्रेष्ठ माना गया है। श्रद्धालु गंगा तथा यमुना में सुबह-सवेरे स्नान कर पुण्य लाभ पाते हैं। जो इन नदियों तक स्नान करने के लिए नहीं जा पाते हैं वे अपने समीप के किसी जलाशय में स्नान करके पुण्य की प्राप्ति कर सकते हैं।
मान्यता है कि इस मास में हर नदी का जल गंगा के सदृश हो जाता है। कुछ लोग अपने घरों में ही सूर्योदय पूर्व स्नान करके भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं।