भारत में अंग्रेज़ी भाषा का दबदबा कुछ ऐसा है कि बच्चे भले ही अपनी मातृभाषा न बोलें लेकिन अगर फ़र्राटेदार अंग्रेज़ी बोलते हैं तो उनका सीना फूलकर दोगुना हो जाता है। अगर कोई परिवार विदेश में रह रहा हो तो भी ये बात समझ में आ सकती है हालंकि तब भी आप अपने बच्चों से अपनी मातृबाषा में बात करके उसे उसकी जड़ों से जोड़े रख सकते हैं। दरअसल आपकी भाषा महज़ आपके विचारों को प्रकट करना का ज़रिया मात्र नहीं होती। इसके साथ जुड़ी होती संस्कृति और परंपरा जिसका सीधा असर पड़ता है आपके व्यक्तित्व पर।
कुछ अभिभावकों के मन में अपनी संस्कृति और जड़ों को लेकर हीन भावना रहती है जिसकी वजह से वे बच्चों को मातृभाषा सीखाने में ना के बराबर दिलचस्पी रखते हैं।
बच्चों को उनकी मातृभाषा से दूर रखना न सिर्फ़ ग़लत है बल्कि भविष्य में बच्चों को भी शर्मिंदा होना पड़ सकता है।
इन कारणों से करें मातृभाषा में बात
मातृभाषा में बात करने का सबसे बड़ा फ़ायदा ये होता है कि आप अपनी बात प्रभावशाली और अच्छे तरीके से कह सकते हैं जिसका सुनने वाले पर प्रभाव पड़ता है।
मातृभाषा में बात करने के कारण बच्चों और अभिभावकों के बीच प्यार अधिक गहरा होता है। परिवार में मातृभाषा में बात करने से बच्चे अपने अभिभावकों के अधिक करीब आते हैं।
मातृभाषा में बात करने से संस्कृति और परंपराओं का परोक्ष या अपरोक्ष रुप से सामना होता रहता है जिससे बच्चे ख़ुद ब ख़ुद अपनी संस्कृति और परंपराओं के करीब आ जाते हैं।
मातृभाषा में बात करने का सबसे अधिक फायदा ये होता है कि आप सार्वजिनक जगहों में भी कोई जरूरी बात (जो केवल आप अपने बच्चे को समझाना या डांटना चाहते हैं) अपने बच्चे से कर लेते हैं।
इससे बच्चे बाइलिंगुअल होते हैं और उनकी बुद्धि का विकास होता है। जो इंसान जितनी ज्यादा भाषा जानता है वो उतना अधिक क्रिएटिव और समझदार होता है।
खासकर दूसरे देश या राज्य में रहने वाले लोगों के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्चों से अपनी भाषा में बात करें जिससे उन्हें अपने देश और राज्य के बारे में पता रहे।