धर्म डेस्क: अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते है। वैसे तो हर माह पूर्णिमा होती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का महत्व कुछ और ही है। इस बार शरद पूर्णिमा 15 अक्टूबर, शनिवार को है। हिंदू पुराणों के अनुसार माना जाता है कि शरद पूर्णिंमा की रात को चांद पूरी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। इस दिन चांदनी सबसे तेज प्रकाश वाली होती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत गिरता है। ये किरणें सेहत के लिए काफी लाभदायक है।
ये भी पढ़े-
- शरद पूर्णिमा: 16 कलाओं के साथ दिखेगा चंद्रमा, ऐसे पूजा कर पाएं लक्ष्मी की कृपा
- शरद पूर्णिमा: रात को करें इस 1 मंत्र का जाप और खोले किस्मत के दरवाजे
- 81 हजार साल बाद चंद्रमा बदलता है अपना रुप: रिसर्च
- राशिनुसार दीवाली से पहले करें ये उपाय, होगी मां लक्ष्मी प्रसन्न
शरद पूर्णिंमा का व्रत संतान की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए किया जाता है। इस बार शरद पूर्णिमा 15 अक्टूबर को है। जो कि शनिवार का दिन है। इस दिन पूरा चांद दिखाई देने के कारण इसे महापूर्णिमा कहा गया है। माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू में सवार होकर धरती में आती है।
माता यह देखती है उनका कौन भक्त रात में जागकर उनकी भक्ति कर रहा है। माना जाता है जो भक्त इस रात में जागकर मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं मां लक्ष्मी की उन पर अवश्य ही कृपा होती है। जानिए इस दिन और क्या उपाय करना चाहिए।
- इस दिन माता लक्ष्मी और कबेर की पूजा का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन गाय के दूध की खीर बनाकर माता लक्ष्मी एवं कुबेर को अर्पित कर चांदनी रात में छत पर सिद्ध करने के लिए रखी जाती है। इसके बाद सुबह पूरे परिवार में इसे प्रसाद के तौर पर बांट दें।
- अगर आप चाहते है कि माता लक्ष्मी आपके ऊपर अपनी कृपा बनाएं रहे, तो इसके लिए माता लक्ष्मी को चांदी का चौकोर टुकड़ा चढ़ाकर इसे अपने पास संभाल कर लें। इसके साथ ही भगवान शिव को गाय के दूध से बनी खीर अर्पित करें। वो प्रसन्न होगें।
अगली स्लाइड में पढ़े और उपायों के बारें में