भारत के साथ साथ आज पूरी दुनिया चंद्रयान 2 chandrayaan 2 के चांद moon पर सफलता पूर्वक उतरने का इंतजार कर रही है। चांद को दुनियाभर में खूबसूरती से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन चांद पर भी दाग हैं, पहले ये दाग चांद पर नहीं थे और चांद बेदाग और खूबसूरत था।
कैसे मिले चांद को दाग, इसका जिक्र पौराणिक कथाओं में मिलता है। श्रीमद भागवत पुराण के दशम स्कंद के 56वें अध्याय में चांद को दाग मिलने की पूरी कथा का उल्लेख है।
बताया जाता है कि चांद की कभी सौलह कलाएं थी और पूर्णिमा के दिन जब सौलह कलाएं खिलती तो चांद देवताओं में सबसे सुंदर बन जाता था। उसे अपनी खूबसूरती पर घमंड हो गया था। एक बार लंबोदर गणेश भगवान कहीं जा रहे थे तो उनकी लंबी सूंड और बड़े कानों को देखकर चंद्रमा ने उनका उपहास उड़ाते हुए उनका अनादर किया।
क्रोधित होकर श्री गणेश ने चंद्रमा को बदसूरत होने और उस पर दाग लगने का श्राप दिया कहा कि जो भी कोई चंद्रमा को देखेगा उस पर झूठा कलंक लग जाएगा।
तब जाकर चंद्रमा को अपने घमंड का अफसोस हुआ और वो झाड़ियों में जाकर छिप गया। लेकिन चंद्रमा का निकलना तो प्रकृति का आधार है। अगर चांद न निकले तो सृष्टि के चलने में बाधा आ जाएगी। तब नारद जी ने चंद्रमा को सलाह दी कि भगवान गणेश से क्षमा याचना करें।
चंद्रमा लड्डू और मालपुए लेकर गणपति की शरण में पहुंचे और उनके पूजन के बाद अपनी गलतियों की क्षमा याचना की। गणपति प्रसन्न हो गए, उन्होंने कहा कि रोज तो नहीं लेकिन गणेश चतुर्थी के दिन जो तुम्हे देखेगा उसे दोष लगेगा। गणपति की पूजा के बाद चंद्रमा का चेहरा तो ठीक हो गया लेकिन कई दाग उसके चेहरे पर दंडस्वरूप रह गए। इसलिए भादप्रद माह की गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखना अशुभ माना जाता है।