फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन बुराई पर अच्छाई का दिन यानि कि इस दिन होलिका दहन किया जाएगा। होलिका का ये त्योहार बहुत पुराने समय से मनाया जा रहा है। इस बार होली 28 और 29 मार्च को मनाई जाएगी। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार जैमिनी सूत्र में इसका आरम्भिक शब्दरूप ‘होलाका’ बताया गया है। वहीं हेमाद्रि, कालविवेक में होलिका को ‘हुताशनी’ कहा गया है। वहीं भारतीय इतिहास में इस दिन को भक्त प्रहलाद की जीत से जोड़कर देखा जाता है।
कहा जाता है कि प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का अत्यंत बलशाली राजा था जो भगवान में बिल्कुल भी विश्वास नहीं रखता था। लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद श्री विष्णु का परम भक्त था। होलिकादहन के समय ऐसी परंपरा भी है कि होली का जो डंडा गाडा जाता है, उसे प्रहलाद के प्रतीक स्वरुप होली जलने के बीच में ही निकाल लिया जाता है। होली की बुझी हुई राख को घर लाना चाहिए। इस राख की जरुरत आपको धुलेंडी वाले दिन पड़ेगी।
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सुख-शांति के लिए धुलेंडी के दिन ऐसे करें राख का इस्तेमाल
होली के दिन घर के आंगन को साफ करके वहां पर एक वर्गाकार आकृति बनानी चाहिए और उसके मध्य में कामदेव की पूजा करनी चाहिए। फिर घर की महिलाओं द्वारा कामदेव की प्रतिमा पर चन्दन का लेप लगाना चाहिए और कामदेव से प्रार्थना करते हुए कहना चाहिए- कामदेवता मुझपर प्रसन्न हों। साथ ही यथाशक्ति ब्राह्मण आदि को दान करना चाहिए और चन्दन लेप से मिश्रित आम का बौर खाना चाहिए।
आज धूल की वंदना करनी चाहिए और होलिका विभूति को यानि होली की राख को धारण करना चाहिए। साथ ही मिट्टी से स्नान करने की भी परंपरा है। इसके साथ ही होली वाले दिन स्नान करने से पहले शरीर पर मिट्टी लगानी चाहिए और उसके कुछ देर बाद स्नान करना चाहिए।
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इस दिशा में रखें होलिका की राख
वास्तु शास्त्र के अनुसार होली जलाने के बाद होली की राख को लाकर घर के आग्नेय कोण, यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। क्योंकि आग्नेय कोण का संबंध अग्नि तत्व से है और राख भी अग्नि जलने के बाद ही बनती है। आपको बता दें कि इस दिशा में होली की राख रखने से आपको व्यापार में लाभ मिलेगा। जीवन में आपकी उन्नति होगी और घर की बड़ी बेटी के साथ आपके संबंध अच्छे होंगे।