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Holika Dahan 2019: आज है होलिका दहन, रात 8:58 बजे से लेकर 00: 28 तक रहेगा विशेष मुहूर्त

Holika Dahan 2019 Subh Muhurat: 20 मार्च को होलिका दहन होगा। वहीं 21 मार्च को होली खेली जाएगी। होली का त्योहार फाल्गुन माह में होलिका दहन से शुरू होता है। जानें दहन का शुभ मुहूर्त।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: March 20, 2019 18:42 IST
Holi 2019- India TV Hindi
Holi 2019

Holika Dahan 2019: होलिका दहन 20 मार्च यानी की बुधवार को पड़ रही है। होलिका की पवित्र आग में लोग जौ की बाल और शरीर पर लगाए गए सरसों के उबटन को डालते हैं। ऐसी मान्यता है कि ये करने से घर में खुशी आती है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत है। पर क्या आपको पता है कि इस बार होली कब मनाई जाएगी और क्या है शुभ मूहर्त।

कब है होली

जहां 20 मार्च को होलिका दहन होगा। वहीं 21 मार्च को होली खेली जाएगी। होली का त्योहार फाल्गुन माह में होलिका दहन से शुरू होता है। होलिका दहन के समय को लेकर कई बार लोगों के मन में काफी भ्रम होता है। क्योंकि शुभ मूहर्त में ही होलिका दहन करने पर इसका फल मिलता है।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम शाम 8:57 से  रात 00:28 मिनट तक है। होलिका मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है।

होली के अगले दिन दुल्हंडी का पर्व मातंग योग में मनाया जाएगा। दोनों दिन क्रमश: पूर्वा फागुनी और उत्तरा फागुनी नक्षत्र में पड़ रहे है। स्थिर योग में आने के कारण इस होली का पर्व बहुत ही शुभ माना गया है।

होलिका दहन की पौराणिक कथा

होलिका का ये त्योहार बहुत पुराने समय से मनाया जा रहा है। जैमिनी सूत्र में इसका आरम्भिक शब्दरूप 'होलाका' बताया गया है। वहीं हेमाद्रि, कालविवेक के पृष्ठ 106 पर होलिका को 'हुताशनी' कहा गया है। इसके अलावा भारत देश की संस्कृति में इस दिन को राजा हिरण्यकश्यप और होलिका पर भक्त प्रहलाद की जीत के रूप में मनाया जाता है। दरअसल होलिका हिरण्यकश्यप की बहन थी और उसे आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था, जबकि हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, जो कि हिरण्यकश्यप को बिल्कुल भी पसंद नहीं था।  

इसलिए एक दिन हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे की विष्णु भक्ति से परेशान होकर उसे होलिका के साथ आग में जलने के लिये बिठा दिया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गया और होलिका आग में जल गई। तभी से होलिका दहन का ये त्योहार मनाया जाने लगा। इस दिन होलिका दहन के समय जलती हुई आग में से भक्त प्रहलाद के प्रतीक स्वरूप मिट्टी में दबाये गये डंडे को निकाला जाता है, जबकि डंडे के आस-पास लगी हुई लकड़ियों को जलने दिया जाता है।

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