नई दिल्ली: पूरे देश में नवरात्र का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। देवी मां के हर एक मंदिर को फूलों से सजाया गया है। जहां पर भक्तों की दर्शन के लिए लंबी-लंबी लाइने लगी हुई है। लेकिन आपको पता है कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी एक ऐसा ही शक्तिपीठ है। जहां पर मां के दरबार पर रोजाना लाखों भक्तों की भीड़ लगती है। जी हां यह बात बिल्कुल सच है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित हिंगलाज शक्ति पीठ मंदिर। जिसे भवानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि यह मंदिर आज का नहीं बल्कि 2000 साल पुराना है। यहां पर रोजाना 15000 श्रृद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे है।
यह मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगोल नदी के तट पर चंद्रकूप पर्वत पर बसा यह मंदिर बहुत सिद्ध माना जाता है। यहां जाने का रास्ता बहुत मुश्किल है लेकिन भक्त और श्रद्धालु साल भर इस मंदिर में आते हैं। नवरात्रों के दौरान यहां मेला लगता है जहां हजारों की संख्या में हिंदू और मुसलमान बड़ी संख्या में आते हैं।
यह हिंदू मुसलमान का भेदभाव मिटाने वाला मंदिर माना जाता है। जहां हिंदू इस मंदिर को देवी 'हिंगलाज' कहते है तो वह मुस्लिम इसे 'नानी का हज' के नाम से पुकारते है। हां पर दोनों संप्रदाय के लोग भक्ति के साथ अपना सिर झुकाते है। (Dussehra 2018: विजयादशमी के दिन इस शुभ में करें ये सब काम, मिलेगी हर सफलता )
यहां पर गिरा था मां सती का सिर
कहा जाता है कि जब सतयुग में देवी सती ने अपना शरीर अग्निकुंड में समर्पित कर दिया था, तो भगवान शिव ने सती के जले शरीर को लेकर तांडव किया और फिर भगवान विष्णु ने उन्हें शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के जले शरीर को टुकड़ों में विभाजित कर दिया था। (Dussehra 2018: जानें कब मनाया जाएगा दशहरा या विजयादशमी, ये है पूजा का शुभ मुहूर्त )
माना जाता है कि सती के शरीर का पहला टुकड़ा यानि सिर का एक हिस्सा यहीं अघोर पर्वत पर गिरा था। जिसे हिंगलाज व हिंगुला भी कहा जाता है यह स्थान कोटारी शक्तिपीठ के तौर पर भी जाना जाता है। बाकी शरीर के टुकड़े हिंदुस्तान के विभिन्न हिस्सों में गिरे, जो बाद में शक्तिपीठ कहलाए।