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हिंदू धर्म में किसी के मरने और जन्म लेने के बाद क्यों मनाया जाता है सूतक

मारे समाज में इससे जुड़े कई परंपराए है जैसे कि कोई शुभ काम न करना यानी कि अगर आपको कोई व्यापार करना है तो उसे इस समय में नहीं कर सकते है। इसे आप अंधविश्वास भी कह सकते है। लेकिन आप जानते है कि इसके पीछें वैज्ञानिक कारण भी है। आखिर क्यों यह सूतक मनाते

India TV Lifestyle Desk
Updated : February 08, 2016 20:15 IST

birth

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जन्म के बाद

हमारे समाज में जब किसी के घर में किसी का जन्म होता है तो उसके घर में 10 दिन तक सूतक और जन्म देने वाली मां के लिए एक महीने के लिए सूतक होता है। इस समय में वह महिला उसी कमरे में रहेगी जहां पर वह विश्राम करती है और वह घर के कोई काम नहीं कर सकती है साथ ही किचन में भी नहीं जा सकती है। साथ ही इस समय में घर का कोई भी सदस्य किसी भी धार्मिक कामों में भाग नहीं ले सकता है।

वह किसी मंदिर में भी नहीं जा सकता है। इसे आप अंधविश्वास का नाम भी दे सकते है, लेकिन आप जानते है कि इस पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है। इसके अनुसार पहले के जमाने में जो परिवार होते थे। वह सयुंक्त रुप में रहते थे। जिसके कारण एक महिला के लिए अधिक काम हो जाता था। और डिलीवरी के बाद वह महिला बहुत ही कमजोर हो जाती थी। जिसके कारण उसे आराम करने की आवश्यकता होती थी। जिसे सूतक का नाम दिया गया। जिसके की वह अपने कमजोर शरीर को फिर से ठीक कर सके।

इसके साथ ही दूसरा कारण था कि बच्चें को संक्रमण से बचाना। क्योंकि जन्म से लेकर एक महीने तक एक बच्चें में प्रतिरोधक क्षमता शून्य के बराबर होती है। जिसके कराण उनको कोई भी बीमारी हो सकती है। जिसके कारण उसे बाहरी लोगों से दूर रखा जाता था। जिससे कि उसे किसी भी प्रकार का संक्रमण न हो।

आज इस सूतक को एक अंधविश्वास मान लिया गया है, लेकिन इसके पीछे जो कारण है वो है मां और बच्चें दोनों को आराम और दोनों के सेहत में अच्छा प्रभाव पड़े।

अगली स्लाइड में पढ़े जन्म और मृत्यु के सूतक के बारें में

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