आज ध्रुव योग ज्येष्ठा नक्षत्र और मंगलवार के दिन हम बात करेंगे मूंगा रत्न के बारे में । मूंगा रत्न मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और मंगल एक ऊष्ण ग्रह है। मंगल रत्न मूंगा की क्या खूबियां है, ये कहां पाये जाते हैं... किस लग्न वालों को ये रत्न पहनने चाहिए और किस लग्न वालों को नहीं पहनने चाहिए। इसी कड़ी में आज मैं आपको वो सारी बातें बताऊंगा, जो आपके लिये बेहद जरूरी है। तो सबसे पहले बात शुरू करते हैं रत्न की कीमत से।
कैसे करें रत्नों की नाप-तौल
मान लीजिये अगर आप सवा 5 रत्ती का रत्न खरीदना चाहते हैं और आप किसी जौहरी के पास जाते हैं। अगर वह जौहरी सही होगा तो आपसे पूछेगा कि आपको कितने कैरेट का रत्न चाहिए और एक कैरेट में 200 मिली ग्राम होते हैं। लेकिन अगर आप किसी चालाक जौहरी के पास फंस गये तो वह आपको रेट तो कैरेट के हिसाब से लगायेगा, परन्तु देगा रत्ती के हिसाब से। यहां आपको बता दूं कि एक रत्ती में 180 मिली ग्राम होते हैं। इसलिए रत्नों की खरीददारी में बेहद सावधानी की जरूरत है।
मूंगा रत्न के रंग-रूप और उसकी उपलब्धता
नवरत्नों में से मूंगा रत्न बेहद ही खास है। यह सामान्यतः लाल रंग में पाया जाता है। इसके अलावा सिंदूरी, गुलाबी, सफेद, नीले और काले रंग में भी मूंगा पाया जाता है। अंग्रेज़ी में इसे कोरल कहते हैं। जबकि लता के समान होने के कारण प्राचीनकाल में इसे ‘लतामणि’ के नाम से भी जाना जाता था। वहीं संस्कृत में इसे ‘विद्रुम’ कहते हैं। रत्नों का इतिहास धरती के पहाड़ों और चट्टानों के इतिहास से सीधा जुड़ा हुआ है। अधिकतर रत्न खदानों से खोदकर ही निकाले जाते हैं, लेकिन मूंगा रत्न समुद्र में वनस्पति के रूप में पाया जाता है। पानी के अन्दर यह बहुत ही लचीली अवस्था में होता है, परन्तु पानी से बाहर आने के बाद हवा के संपर्क में आने से यह कठोर हो जाता है। यह अधिकतर जापान, चीन, दक्षिण अफ्रीका, वियतनाम के समुद्र तथा भूमध्य सागर, लाल सागर, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया के द्वीप समूह आदि जगहों पर पाया जाता है।
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आपको बता दूं कि लाल मूंगा अधिक मूल्यवान होता है। साथ ही मूंगा रंग भी छोड़ता है। इसकी प्रकृति नाजुक होती है। देखिये इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बाजार में हर चीज़ का एक नकली प्रारूप भी बड़ी आसानी से मिल जाता है। नकली मूंगे में धब्बे, सफेद धारियां, गड्ढे और दोरंगापन जैसे दोष होते हैं। 16वीं शताब्दी में ऐसा विश्वास किया जाता था कि मूंगे की एक टहनी तूफान को शांत कर सकती है। इससे पागलपन का इलाज हो सकता है और यह जादू-टोने आदि से बचाव करता है, साथ ही बच्चों की रक्षा करता है।
आचार्य इंदु प्रकाश से जानें किस लग्न वालों को मूंगा धारण करना चाहिए और किस लग्न वालों को नहीं, यानी कि किसके लिये यह फायेदमंद होगा और किसके लिये नुकसानदायक।
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मेष लग्न
का मंगल लग्न, यानी शरीर और आठवें घर का स्वामी, यानी लग्नेश और अष्टमेश है। लग्नेश को शुभ माना जाता है तथा अष्टमेश को अशुभ माना जाता है। अष्टम स्थान आयु और मृत्यु से संबंध रखता है, अतः मेष राशी वालों को मूंगा सावधानीपूर्वक किसी सुयोग्य ज्योतिषी की देखरेख में ही पहनना चाहिए।
वृष लग्न
इस लग्न के लिये मंगल सातवें और बारहवें घर का स्वामी होता है, यानी सप्तमेश होता है और सप्तमेश मारकेश है। अतः मूंगा आपके लिये मारक है और व्ययेश भी शुभ नहीं माना जाता है, अतः आपको मूंगा धारण नहीं करना चाहिए।
मिथुन लग्न
मंगल छठे और ग्यारहवें घर का स्वामी होता है, जो कि अकारक हैं। अतः आपको भी मूंगा नहीं पहनना चाहिए। अगर पहनेंगे तो आपको पेट से संबंधी परेशानी हो सकती हैं।
कर्क लग्न
मंगल पांचवे और दसवें घर का स्वामी होता है। ये दोनों ही स्थान शुभ हैं। पंचम स्थान विद्या, संतान, गुरु, विवेक, रोमांस और डिसिजन मेकिंग की अबिलीटी आदि से संबंधित है तो वहीं दसवां घर पिता और करियर का है। अतः आप मूंगा पहन सकते हैं। मूंगा पहनने से आपको पंचम स्थान से संबंधित विषयों के शुभ परिणाम तो मिलेंगे ही, साथ ही आपके पिता की बेहतरी होगी और आपको करियर में सफलता मिलेगी।
सिंह लग्न
मंगल चौथे और नवे घर का स्वामी होता है। ये दोनों ही स्थान शुभ हैं। चौथे घर का संबंध माता, भूमि, भवन, वाहन और सुख से होता है जबकि नवां घर भाग्य का होता है। अतः आपके लिये मूंगा धारण करना फायदेमंद होगा। मूंगा धारण करने से आपकी किस्मत का सितारा बुलंद होगा और आपको सभी सबंधित विषयों के शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
कन्या लग्न
मंगल तीसरे और आठवें घर का स्वामी होता है। त्रिषडायेश अकारक हैं, यानी कि 3, 6 और 11 के मालिक नुकसान कराने वाले होते हैं, साथ ही आठवें घर, यानी कि अष्टमेश को भी अशुभ माना जाता है, लिहाजा कन्या राशि वालों को मूंगा नहीं पहनना चाहिए।
तुला लग्न
मंगल सेकेण्ड हाऊस, यानी दूसरे और सातवें घर का मालिक होता है और ये दोनों ही स्थान मारकेश हैं। अतः तुला राशि वालों को मूंगा बिल्कुल नहीं पहनना चाहिए।
वृश्चिक लग्न
मंगल राशि का स्वामी है, लग्न का स्वामी है। ये स्थान अत्यंत शुभ है, लेकिन साथ ही मंगल छठे घर का भी स्वामी है, जो कि अकारक है। अतः आप कुछ सावधानियों के साथ मूंगा धारण कर सकते हैं।
धनु लग्न वा
मंगल बारहवें और पांचवें घर का मालिक होता है। बारहवें घर को व्यय स्थान, यानी खर्च बढ़ाने वाला स्थान कहा जाता है। अगर आप मूंगा पहनेंगे तो आपके खर्चें अधिक बढ़ जायेंगे, परन्तु साथ ही पांचवे घर को अत्यंत शुभ स्थान माना जाता है। पंचम स्थान संतान, विद्या, गुरु, रोमांस और विवेक आदि से संबंध रखता है, अतः बारहवें स्थान के व्ययेश होने के बावजूद आप पंचम स्थान से संबंधित विषयों के शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिये मूंगा पहन सकते हैं।
मकर लग्न
मंगल एकादश, यानी ग्यारहवें और चौथे घर का स्वामी है। वैसे तो ग्यारहवां घर आमदनी और कामना पूर्ति का है, परन्तु साथ ही इस घर का स्वामी अकारक है, जबकि मकर लग्न वालों के चौथे घर का मालिक शुभ है। चौथे घर का संबंध माता, भूमि, भवन, वाहन और सुख से होता है। पत्रिका में चौथा घर ग्यारहवें घर से पहले आता है, अतः मकर लग्न वालों आप मूंगा पहन सकते हैं।
कुम्भ लग्न
मंगल दसवें और तीसरे घर का मालिक होता है। दसवां घर पिता और करियर का स्थान है। मूंगा पहनने से आपके पिता की तरक्की होगी और आपको करियर में सफलता मिलेगी, लेकिन साथ ही मंगल तीसरे घर का स्वामी होने के कारण अकारक भी है। इसलिए यह आपको हानि करा सकता है। अतः आपको मूंगा पहनना अवॉयड ही करना चाहिए।.
मीन लग्न
मंगल नवें और दूसरे घर का स्वामी होता है। नवां घर भाग्य स्थान का स्वामी है, जबकि सेकेण्ड हाऊस, यानी दूसरे घर का स्वामी होने के कारण मारकेश है। अतः आपको मूंगा नहीं पहनना चाहिए। अगर आप मूंगा पहनेंगे तो आपके स्वास्थ्य की हानि होगी।