हरतालिका तीज का त्योहार 21 अगस्त को है। इस त्योहार की रौनक देखने लायक है। बाजार सज गए हैं और पूजा से जुड़ी छोटी से छोटी चीज महिलाएं चाव से खरीद रही हैं। इस व्रत की खास बात है कि ये व्रत सुहागिन महिलाएं और शादी से पहले लड़कियां भी सुयोग्य वर की प्राप्ति की इच्छा करते हुए रख सकती है। ये व्रत बहुत कठिन होता है क्योंकि निर्जला रखा जाता है। इस दिन महिलाएं 24 घंटे से भी अधिक समय तक निर्जल उपवास कर गौरी-शंकर की पूजा अर्चना करती है। महिलाएं निर्जला रखती हैं और दूसरे दिन सुबह पूजा पाठ करने के बाद ही अपना व्रत खोलती है। ऐसे में सबसे जरूरी ये जानना है कि पूजा की थाल में कौन-कौन सी चीजें होना चाहिए।
Hartalika Teej 2020: पहली बार रखने जा रही हैं हरतालिका तीज का व्रत, तो ध्यान रखें ये नियम
जो महिलाएं कई साल से इस व्रत को रख रही हैं उन्हें तो इस बारे में पूरी जानकारी होगी। लेकिन जो महिलाएं या फिर लड़कियां पहली बार हरतालिका व्रत रख रही हैं उनके लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि पूजा की थाल में किन चीजों का होना जरूरी है। जानिए पूजा थाल में क्या-क्या होना चाहिए।
पूजा की थाल में ये चीजें रखें जरूर
- भोलेनाथ और माता पार्वती की मूर्ति रखने के लिए थाली
- पूजा के लिए लकड़ी का पाटा
- लकड़ी के पाटे पर बिछाने के लिए पीले रंग का कपड़ा
- पूजा के लिए नारियल
- पानी से भरा कलश
- आम के पत्ते
- दीप जलाने के लिए घी और दीया
- अगरबत्ती और धूप
- आरती के लिए कपूर
- पान के पत्ते
- सुपारी
- केले
- दक्षिणा
- बेलपत्र और धतूरा
- शमी की पत्तियां
- जनेऊ
- माता पार्वती के लिए चुनरी
- सुहाग का सामान
- मेहंदी
- काजल और सिंदूर
- चूड़ियां, बिंदी
- गौर बनाने के लिए मिट्टी और पंचामृत
Hartalika Teej 2020: 21 अगस्त को है हरतालिका तीज, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
ऐसे करें हरतालिका व्रत की पूजा
- तीज के इस व्रत को महिलाएं बिना कुछ खाएं-पीएं रहती है
- इस व्रत में पूजन रात भर किया जाता है
- इस पूजन में बालू के भगवान शंकर व माता पार्वती का मूर्ति बनाकर किया जाता है
- एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सहेली की प्रतिमा बनाई जाती है
- ध्यान रहें कि प्रतिमा बनातें समय भगवान का स्मरण करते रहे और पूजा करते रहे
- पूजन-पाठ के बाद महिलाएं रात भर भजन-कीर्तन करती है
- हर प्रहर को पूजा करते हुए बेल पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण करें
- शिव-गौरी की आरती करें