तब अहिरावण ने एक चाल चली। उसने रूप बदल कर अपने को राम की सेना में शामिल कर लिया और जब रात्रि समय सभी लोग सो रहे थे,तब अहिरावण ने अपनी जादुई शक्ति से श्री राम एवं लक्ष्मण जी को मूर्छित कर उनका अपहरण कर लिया।
वह उन्हें अपने साथ पाताल लोक में ले जाता है। जब वानर सेना को इस बात का पता चलता है तो चारों ओर हडकंप मच जाता है। सभी इस बात से विचलित हो जाते हैं। इस पर हनुमान जी भगवान राम व लक्ष्मण जी की खोज में पाताल लोक पहुंच जाते हैं और वहां पर अहिरावण से युद्ध करके उसका वध कर देते हैं तथा श्री राम और लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा करते हैं।
उन्हें पाताल से निकाल कर सुरक्षित बाहर ले आते हैं। मान्यता है की यही वह स्थान था जहां से हनुमान जी पाताल लोक की और गए थे। उस समय हनुमान जी के पांव आकाश की ओर तथा सिर धरती की ओर था जिस कारण उनके उल्टे रूप की पूजा की जाती है।
इस मंदिर में एक मान्यता यह भी है कि पांच या तीन मंगलवार को इस मंदिर में भगवान की पूजा-अर्चना सच्चें मन से करने के साथ नारियल चढ़ाता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। इसलिए इस मंदिर में बहुत दूर से लोग दर्शन मात्र के लिए आते है।