हनुमान जी माता अंजना जो एक स्वर्ग लोक की अप्सरा थी। उनका विवाह केसरि के साथ हुआ। अंजना और केसरि पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान शिव की तपस्या की। जिसके कारण शिव दोनों पर प्रसन्न हुए और हनुमान के रुप में उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। जो आगें चलकर रामायण में रावण के वध में सुत्रधार बनें।
पवनपुत्र हनुमान ही एक ऐसे हनुमान है जो आज भी साक्षात् रूप में अपने भक्तों को दर्शन देते है। इसी का उल्लेख महान संत कवि तुलसी दास जी ने अपनी रचना में किया। तुलसी दास एक ऐसे कवि थे जिन्हें श्री राम और लक्ष्मण के साक्षात दर्शन हुए थे। और उनकी सहायता स्वयं हनुमान जी ने की थी। इसके अनुसार 16वी सदी के महान संत कवि तुलसीदास जी को हनुमान की कृपा से राम जी के दर्शन प्राप्त हुए।
महाभारत में भी हनुमान जी ने युद्ध के समय अर्जुन की सहायता की था। त्रेतायुग में महाभारत युद्ध से पहले पाण्डव पुत्र भीम से हुई थी। भीम की विनती पर युद्ध के समय हनुमान जी ने पाण्डवों की सहायता करने का आश्वासन दिया था। माना जाता है कि महाभारत युद्ध के समय अर्जुन के रथ का ध्वज थाम कर महावीर हनुमान बैठे थे। इसी कारण तीखे वाणों से भी अर्जुन का रथ पीछे नहीं होता था और संपूर्ण युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ का ध्वज लहराता रहा।
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