धर्म डेस्क: Guru Purnima 2018- आज शुक्रवार का दिन होने के साथ- साथ आज आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि भी है। आज स्नान-दान-व्रतादि की आषाढ़ी पूर्णिमा है और इस आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) से लेकर अगले चार महीने अध्ययन के लिये बड़े ही उपयुक्त माने जाते हैं। साधु-संत भी इस दौरान एक स्थान पर रहकर।
इस दिन गुरु की पूजा का महत्व है
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरा।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः माना जाता है कि आज ही के दिन महाभारत और वेदों के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास जी का जन्मदिवस भी होता है। इसलिए गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन अपने गुरुओं को प्रणाम करना चाहिए, उनका आशीर्वाद लेना चाहिए और हो सके तो उन्हें कुछ भेंट करना चाहिए। ऐसा करने से आपके ऊपर गुरु कृपा हमेशा बनी रहेगी।गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के साथ ही आज के दिन शिव शयनोत्सव भी है। इसे शिव पवित्रारोपण के नाम से भी जानते हैं। आज से लेकर अगले चार महीनों तक बैंगन का सेवन वर्जित है। साथ ही आज से नक्त व्रत भी आरंभ हैं। नक्त व्रत के दौरान केवल एक समय रात को तारे देखकर भोजन किया जाता है और बाकी समय उपवास किया जाता है।
इसी दिन महाभारत और चार वेदों के रचयिता महर्षि कृष्ण द्वैपायन व्यास यानी कि महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस बार गुरु पूर्णिमा 27 जुलाई को है।
गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा का विधान है। दरअसल, गुरु की पूजा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि उसकी कृपा से व्यक्ति कुछ भी हासिल कर सकता है। गुरु की महिमा अपरंपार है। गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती। गुरु को तो भगवान से भी ऊपर दर्जा दिया गया है. इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। पुराने समय में गुरुकुल में रहने वाले विद्यार्थी गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से अपने गुरु की पूजा-अर्चना करते थे। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु में आती है. इस मौसम को काफी अच्छा माना जाता है। इस दौरान न ज्यादा सर्दी होती है और न ही ज्यादा गर्मी। इस मौसम को अध्ययन के लिए उपयुक्त माना गया है। यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा से लेकर अगले चार महीनों तक साधु-संत विचार-विमर्श करते हुए ज्ञान की बातें करते हैं।
जीवन को नई दिशा देने वाले गुरु को सम्मान देने का खास दिन
गुरु पूर्णिमा तिथि की और शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा तिथि: 27 जुलाई 2018
गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 26 जुलाई 2018 की रात 11 बजकर 16 मिनट
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त: 27 जुलाई 2018 की रात 01 बजकर 50 मिनट
टिप्पणियां गुरुपूर्णिमा (Guru Purnima)की पूजा विधि
हिन्दू धर्म में गुरु को भगवान से ऊपर दर्जा दिया गया है। गुरु के जरिए ही ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है। ऐसे में गुरु की पूजा भी भगवान की तरह ही होनी चाहिए. गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर घर के मंदिर में किसी चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाएं। इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करें- 'गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये'। (1 अगस्त को शुक्र कर रहा है कन्या राशि में प्रवेश, इन राशियों की मैरिज लाइफ में आएंगी अड़चने)
पूजा के बाद अपने गुरु या उनके फोटो की पूजा करें। अगर गुरु सामने ही हैं तो सबसे पहले उनके चरण धोएं। उन्हें तिलक लगाएं और फूल अर्पण करें. उन्हें भोजन कराएं। इसके बाद दक्षिण देकर पैर छूकर विदा करें।